Sunday, February 24, 2013

आजकल कोई भी मनुष्य मनुष्य का प्रचार नहीं करता



वस्तुओं का न्याय  

कुमार अम्बुज

आजकल कोई भी मनुष्य
मनुष्य का प्रचार नहीं करता
कोई नहीं कहता मुझे वापरिये - मैं आदमी हूँ

यह जरूर होता है कि जब मैं सड़क पार करता हूँ
पेड़ के नीचे सुस्ताता हूँ या रुकता हूँ लालबत्ती पर
अचानक एक आदमी आता है कहता है
इस तरफ आइयेमैं आपको एक वस्तु दिखाता हूँ

मैं एक मनुष्य को छूता हूँ
वह मुसकराता रहता है
कभी-कभी उसमें से एक बीप सुनाई देती है
तब मालुम होता है कि वह मनुष्य नहीं,वस्तु है

फिर मेरी पहचान एक मशीन करती है
जैसे वह मेरा भार जानती है और पासंग भी
वस्तुएँ ही करती हैं मेरा न्याय
वे मेरी हर चीज को दो खानों में रख देती है
कुल दो खानेः काला या सफेद
वे कहती हैं हम हमेशा सच बोलती हैं
लेकिन तुम झूठ बोल सकते हो,तुम मनुष्य हो

यदि हम झूठ बोल रही हों तो तय है
वह किसी मनुष्य का ही झूठ है.

1 comment:

Ayodhya Prasad said...

बेहतरीन ...सहा कहा आपने हम मशीनों के सामने खुद को भूल गयें हैं|