Sunday, March 24, 2013

होली खेलत नन्दकुमार



कल आपने पंडित छन्नूलाल मिश्र से कम्पोजीशन “खेलें मसाने में होरी” सुनी थी. आज सुनिए उन्हीं के अल्बम ‘होली के रंग टेसू के फूल’ से एक और रचना-


2 comments:

Arvind Mishra said...

वह भी सुना था यह भी -वाह !

Hi.. I am Kaivi.. said...

Maja aa gaya Ashok Dada..Aapne pahad ki baithak holi ki yad dila di..