अन्ना कामीएन्सका की कवितायेँ – २
ख़ाली जगहें
“लोगों को प्यार करने को
जल्दी जल्दी चलो भाई”
-यान त्वार्दोव्स्की
मैं किसी को प्यार कर ही
नहीं पाई
अलबत्ता दौड़भाग बहुत की
मैंने
ऐसा था जैसे मैंने फ़क़त
ख़ाली जगहों से प्यार करना हो
बगैर आलिंगन के झूलती
आस्तीनें
टोपी जिसे उसके सिर ने
त्याग दिया हो
एक आरामकुर्सी जिसे खुद
उठकर कमरे के बाहर निकल जाना चाहिए
किताबें जिन्हें अब कोई
नहीं छूता
एक कंघा जिस पर छूटा रह
गया एक चांदी बाल
पलंग जिनसे बड़े हो जाते
हैं शिशु
गैरज़रूरी चीज़ों से भरी
दराजें
सिरे पर चबाया गया पाइप
नंगे पाँव निकल गए एक पैर
के
आकार के लिए बनाए गए जूते
फ़ोन का रिसीवर जहां
आवाज़ें बन जाती हैं चुप्पियाँ
प्यार करने के वास्ते
कितनी हड़बड़ी की मैंने
और ज़ाहिर है मैं प्यार कर
ही नहीं सकी.
एक हस्पताल में
कोई खड़ा नहीं है
उस बूढ़ी औरत की बगल में
मर रही है जो एक गलियारे
में
कितने ही दिन हो गए
छत को ताकती हुई वह
उँगलियों से कुछ लिख
लिखती रहती है हवा में
न कोई आंसू हैं न विलाप
न हाथों का ऐंठना
ड्यूटी पर तैनात नहीं
पर्याप्त संख्या में फ़रिश्ते
कुछ मृत्युएँ होती हैं
विनम्र और शांत
जैसे किसी भरी हुई ट्राम
में
किसी ने त्याग दिया हो इस
जगह को.
2 comments:
कुछ मृत्युएँ होती हैं विनम्र और शांत...
कुछ मृत्युएँ होती हैं विनम्र और शांत...
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