एक प्रार्थना जिसका जवाब ज़रूर मिलेगा
-अन्ना कामीएन्स्का
ईश्वर मुझे सहन करने देना
बहुत सारा
और फिर मर जाने देना
मुझे इजाज़त देना खामोशियों
से होकर गुजरने की
किसी भी चीज़ को मेरे साथ
लगे मत रहने देना, भय को भी नहीं
दुनिया को चलते देने रहना
जैसे यह चलती रही है
समुन्दर को चूमते रहने
देना किनारा
घास को हरा बने रहने देना
ताकि एक नन्हे मेंढक को
उसमें शरण मिल सके
जिसमें धंसा सके कोई अपना
चेहरा
और जी भर रो सके
एक भोर इतनी चमकीली बनाना
लगे अब बची बहीं कोई
यातना
बन जाने देना मेरी कविता
को एक खिड़की का कांच
जिस पर अपना सिर पटकती है एक आवारा मक्खी
1 comment:
बहुत ही सार्थक प्रस्तुतीकरण,आभार.
Post a Comment