कल
हरिशंकर परसाई जी की जन्मतिथि थी. जनाब-ए-आला कृष्ण कल्पित उन्हें हिन्दी का
गद्य-कबीर कहते हैं. उनकी फेसबुक वॉल पर लगी यह उलटबांसी भी उम्दा कबाड़ की श्रेणी
में आती है सो ये लीजिये –
मूरख पोथी बांच रहा है राज करे बलवाई
क़त्ल -ओ -गारत करने वाला कहता खुद को भाई
दर्जी कपडे फाड़ रहे हैं कान काटते नाई.
कैसा देश दिया है हमको हरिशंकर परसाई!
क़त्ल -ओ -गारत करने वाला कहता खुद को भाई
दर्जी कपडे फाड़ रहे हैं कान काटते नाई.
कैसा देश दिया है हमको हरिशंकर परसाई!
1 comment:
जय हो, संक्षिप्त में व्यक्त देश का हालात।
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