Friday, August 23, 2013

दर्जी कपडे फाड़ रहे हैं कान काटते नाई


कल हरिशंकर परसाई जी की जन्मतिथि थी. जनाब-ए-आला कृष्ण कल्पित उन्हें हिन्दी का गद्य-कबीर कहते हैं. उनकी फेसबुक वॉल पर लगी यह उलटबांसी भी उम्दा कबाड़ की श्रेणी में आती है सो ये लीजिये –


मूरख पोथी बांच रहा है राज करे बलवाई 
क़त्ल -ओ -गारत करने वाला कहता खुद को भाई 

दर्जी कपडे फाड़ रहे हैं कान काटते नाई.
कैसा देश दिया है हमको हरिशंकर परसाई!

1 comment:

प्रवीण पाण्डेय said...

जय हो, संक्षिप्त में व्यक्त देश का हालात।