भड़के है दिल की आतिश तुझ नेह की हवा सूँ
शो'ला निमत जला दिल तुझ हुस्न-ए-शो'ला ज़ा सूँ
गुल के चिराग़ गुल हो यक बार झड़ पड़ें सब
मुझ आह की हिकायत बोलें अगर सबा सूँ
निकली है जस्त कर-कर हर संग दिल सूँ आतिश
चक़माक़ जब फ़लक की झाड़ा है तूँ अदा सूँ
सजदा बदल रखे सर, सर ता क़दम ग़रक़ हो
तुझ बाहया के पर पर आकर हिना हया सूँ
याँ विरद है पिरम का बेहूदा सर कहे मत
ये बात सुन 'वली' की जाकर कहो दवा सूँ
शो'ला निमत जला दिल तुझ हुस्न-ए-शो'ला ज़ा सूँ
गुल के चिराग़ गुल हो यक बार झड़ पड़ें सब
मुझ आह की हिकायत बोलें अगर सबा सूँ
निकली है जस्त कर-कर हर संग दिल सूँ आतिश
चक़माक़ जब फ़लक की झाड़ा है तूँ अदा सूँ
सजदा बदल रखे सर, सर ता क़दम ग़रक़ हो
तुझ बाहया के पर पर आकर हिना हया सूँ
याँ विरद है पिरम का बेहूदा सर कहे मत
ये बात सुन 'वली' की जाकर कहो दवा सूँ
-‘वली’ दकनी
No comments:
Post a Comment