बचपन में घरवाले अक्सर कहते थे कि' पूछते पूछते तो आदमी पाटण भी पहुँच जाता है'.मैंने इस कहावत पर कभी गौर नहीं किया.घर से कहा जाता कि जाओ बाज़ार से कोकम के फूल ले आओ,या कि अरंडी का तेल ले आओ तो वाजिब बहाने के तौर पर झट से कह बैठता कि कहाँ मिलता है ये,मुझे नहीं पता.और जवाब आता बुधाणियों की दुकान पर मिल जाएगा.फिर टाला जाता कि नहीं मालूम कहाँ है इनकी दुकान. और फिर वही कहावत-'पूछते पूछते तो लोग पाटण भी पहुँच जाते हैं.'
एकाध बार सोचा था उस वक्त कि ये पाटण कौनसी जगह है और कहाँ है? फिर अपने पाठ्यक्रम में कहीं लिखा याद आता 'पाटलिपुत्र'.पटना.वही हो सकता है.वही, दूर,बिलकुल उस छोर पर,पूरब में.
पर अब जानता हूँ वो पाटण गुजरात का पाटण है.कभी थे इसके भी गर्व भरे दिन.इसकी कीर्ति दूर दूर तक थी और राजस्थान के हमारे इलाके तक पाटण की गौरव-पताका लहराती थी.राजस्थान के रेतीले अरण्य में पाटण नगर तक पहुंचना एक हसरत थी.फिर धीरे धीरे पाटण अपने वैभव को खोता गया.अचानक हुआ ये सब या धीरे धीरे पता नहीं पर इस तक पहुँचने की हसरत बनी रही.सिकुड़ने,सिमटने या ख़त्म होने के बावजूद पाटण एक हसरत के रूप में बना रहा.
पाटण अब एक छोटा सा शहर है.
पिछले साल पूछते पूछते यहाँ पहुँच गया था.कह नहीं सकता कि वहां जाना अपने पुरखों की हसरतों के शहर पहुँचने जैसा था या नहीं पर तात्कालिक वजह थी वहां एक बेहद ख़ास जगह को देखना.और ये जगह थी एक प्राचीन बावड़ी-'राणी नी वाव' यानी 'रानी की बावड़ी'.ये पाटण की एक ज़बरदस्त विरासत है. इसके शानदार अतीत का एक उदाहरण.कुछ फोटुओं में इसे आप भी देखें.
एकाध बार सोचा था उस वक्त कि ये पाटण कौनसी जगह है और कहाँ है? फिर अपने पाठ्यक्रम में कहीं लिखा याद आता 'पाटलिपुत्र'.पटना.वही हो सकता है.वही, दूर,बिलकुल उस छोर पर,पूरब में.
पर अब जानता हूँ वो पाटण गुजरात का पाटण है.कभी थे इसके भी गर्व भरे दिन.इसकी कीर्ति दूर दूर तक थी और राजस्थान के हमारे इलाके तक पाटण की गौरव-पताका लहराती थी.राजस्थान के रेतीले अरण्य में पाटण नगर तक पहुंचना एक हसरत थी.फिर धीरे धीरे पाटण अपने वैभव को खोता गया.अचानक हुआ ये सब या धीरे धीरे पता नहीं पर इस तक पहुँचने की हसरत बनी रही.सिकुड़ने,सिमटने या ख़त्म होने के बावजूद पाटण एक हसरत के रूप में बना रहा.
पाटण अब एक छोटा सा शहर है.
पिछले साल पूछते पूछते यहाँ पहुँच गया था.कह नहीं सकता कि वहां जाना अपने पुरखों की हसरतों के शहर पहुँचने जैसा था या नहीं पर तात्कालिक वजह थी वहां एक बेहद ख़ास जगह को देखना.और ये जगह थी एक प्राचीन बावड़ी-'राणी नी वाव' यानी 'रानी की बावड़ी'.ये पाटण की एक ज़बरदस्त विरासत है. इसके शानदार अतीत का एक उदाहरण.कुछ फोटुओं में इसे आप भी देखें.