Tuesday, May 6, 2014

फिर इन सब में लगा पलीता


पढ़िए गीता

-रघुवीर सहाय


पढ़िए गीता
बनिए सीता
फिर इन सब में लगा पलीता
किसी मूर्ख की हो परिणीता
निज घर-बार बसाइए

होंय कँटीली
आँखें गीली
लकड़ी सीली, तबियत ढीली
घर की सबसे बड़ी पतीली
भरकर भात पसाइए

3 comments:

सुशील कुमार जोशी said...

वाह बहुत खूब :)

Kewal Ram said...

विशेष सूचना टिप्पणी
हिन्दी ब्लॉग जगत की आवश्यकताओं के अनुरूप ब्लॉगसेतु टीम द्वारा ब्लॉगसेतु नाम से एक नए ब्लॉग एग्रीगेटर का निर्माण आपके विचारों को ज्यादा से ज्यादा व्यक्तियों तक पहुंचाने के लिए किया गया है. अतः आपसे विनम्र प्रार्थना है कि आप अपने ब्लॉग को इस ब्लॉग एग्रीगेटर से जोड़ कर हमें कृतार्थ करें.
http://blogsetu.com/

केवल राम said...

विशेष सूचना टिप्पणी
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