एक दरवेश की भाँति सुरों की इबादत करता ये अनूठा गायक हम सबको ऐसे लोक में ले जाता है जहाँ तानॊं की मुसलसल बौछारें हैं... आपके बस में है ही क्या सिवा इसके कि आप उनकी मेरूखण्ड गायकी के शैदाई हो जाएँ.इस बार मालवा का सावन देरी से भीगा है लेकिन मेघ में भीगा ये तराना आपको तरबतर कर देगा.सुनिये....अति विलम्बित गायकी का ये शहंशाह किराना घराना,उस्ताद रजब अली ख़ाँ और उस्ताद अब्दुल वहीद ख़ाँ ( बेहरे) के आस्तानों पर सलाम करता हुआ हमें किस क़दर मालामाल कर रहा है.
Friday, July 25, 2014
अमीरख़ानी गायकी की बौछारों से भीगा तराना
एक दरवेश की भाँति सुरों की इबादत करता ये अनूठा गायक हम सबको ऐसे लोक में ले जाता है जहाँ तानॊं की मुसलसल बौछारें हैं... आपके बस में है ही क्या सिवा इसके कि आप उनकी मेरूखण्ड गायकी के शैदाई हो जाएँ.इस बार मालवा का सावन देरी से भीगा है लेकिन मेघ में भीगा ये तराना आपको तरबतर कर देगा.सुनिये....अति विलम्बित गायकी का ये शहंशाह किराना घराना,उस्ताद रजब अली ख़ाँ और उस्ताद अब्दुल वहीद ख़ाँ ( बेहरे) के आस्तानों पर सलाम करता हुआ हमें किस क़दर मालामाल कर रहा है.
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