टेस्ट मैच स्पेशल के दौरान जॉन आर्लट |
इस सब के बावजूद जीवन के चक्र ने उन्हें अपने क्रूर चपेटे में लेते
रहना नहीं छोड़ा. एक के बाद एक हादसे होते रहे. उनकी अतिप्रिय दूसरी पत्नी वैलेरी
१९७६ में ४४ साल की आयु में दिवंगत हो गईं. आर्लट ने दुनिया की निगाहों के सामने
बहुत बहादुरी से इसका सामना किया लेकिन सच तो यह है कि इस सदमे से वे ज़िन्दगी भर
नहीं उबर सके.
उन्होंने अपने प्रोफ़ेशनल कमिटमेंट्स कम करने से इनकार कर दिया और वे
लगातार कमेंट्री करते रहे और अनेकानेक विषयों पर अखबारों वगैरह में लिखते रहे. इंग्लैण्ड
के पूर्व कप्तान माइक ब्रेयरली का कहना था - “दूसरी त्रासदी ने उनमें उदास होने की प्रकृति बढ़ा दी थी. जीवन के मज़े,
दोस्ती, परिवार, क्रिकेट, वाइन, भोजन, कविता – ये सारे वास्तविक तो थे लेकिन उनके
सबसे बेहतरीन पलों में भी एक उदासी घुली मिली रहती थी जब उन्हें मालूम होता था कि
हर किसी चीज़ ने अंततः उदासी और अकेलेपन में समाप्त होना है.”
माइक ब्रेयरली |
अलबत्ता अब भी उनके करियर के बीच शानदार क्षणों ने भी आना नहीं छोड़ा
था. १९७७ में मेलबर्न के शताब्दी टेस्ट मैच में उनकी कमेंट्री के कुछ अंश देखें:
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“लिली सैटिंग अ फील्ड
ऑफ़ इम्मेंस होस्टिलिटी ... द क्राउड विद सन एंड बीयर डूइंग देयर वर्क, अपीलिंग फॉर
क्वाईट सिग्नीफिकैंट नॉन-ईवेंट्स. ... सी गल्स ऑन द टॉप ऑफ़ द स्टैंड्स एज़ वल्चर्स
रेक्रूटेड फॉर लिली.”
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बाद में जब डेविड गावर
ने टेस्ट क्रिकेट में अपनी पहली गेंद खेली और उस पर चौका लगाया तो उनका स्वागत
करते हुए जॉन आर्लट ने कहा: :ओह, व्हट अ प्रिंसली एंट्री!” इसके बाद पूरे करियर
में गावर को प्रिंस उपाधि से नवाज़ा जाता रहा.
भीतर ही भीतर जॉन अपने नज़दीकी लोगों से लगातार जुड़े रहने की ज़रुरत
महसूस करने लगे थे. जब उनका बेटा टिमोथी ऑस्ट्रेलिया चला गया तो आर्लट ने
इंग्लैण्ड से एशेज़ सीरीज की समाप्ति की कमेंट्री करते हुए कहा था: “अ नाइस ईवनिंग
टू अवर मैन इन ऑस्ट्रेलिया.”
१९८० के आते आते उन्होंने फैसला कर लिया था कि जाने का समय आ चुका.
लॉर्ड्स का शताब्दी टेस्ट उनके रिटायरमेंट का मौक़ा बनने वाला वाला तय पाया गया. इस
मैच में बारिश ने खेल खराब किया लेकिन तो भी जब जब खेल रुका हुआ होता था, आर्लट ने
कमेंट्री के बीच इस तरह का जादू पैदा किया: “आई डू विश दैट एवरीबडी कुड बी एन्टरटेन्ड
बाई द ग्रेट ड्रामेटिक प्रेजेंटेशन ऑफ़ डिकी बर्ड वरीइंग अबाउट वेदर टू हैव प्ले ऑर
नॉट.”
यह और बात है कि उनके द्वारा की गयी अंतिम कमेंट्री किसी भी तरह के ड्रामे
से सुसज्जित नहीं थी. “बायकाट पुशेज़ दिस अवे बिटवीन सिली-पॉइंट एंड स्लिप ...
पिक्ड बाई मैलेट एट शोर्ट थर्ड मैन ... द एंड ऑफ़ द ओवर ... नाइन रन्स ऑफ़ द ओवर –
28 बायकाट, 15 गावर, 69 फॉर टू – एंड आफ्टर ट्रेवर बेली इट विल बी क्रिस्टोफर
मार्टिन-जेन्किन्स.” इसके बाद सारा कमेंट्री बॉक्स तालियों से गूँज गया.
यहाँ से आगे कमेंट्री क्रिस्टोफर मार्टिन-जेन्किन्स ने जारी राखी: “द
अप्लौज़ – आई एम वेरी लकी टू हैव बीन ऑन व्हेन जॉन कम्प्लीटेड हिज़ लास्ट कमेंट्री
एंड ऑन बीहाफ ऑफ़ द टेस्ट मैच स्पेशल टीम एंड द ऑडीएन्स आई थैंक हिम वेरी मच इन्डीड
एंड कुड ही ओपन अ बौटल ऑफ़ शेम्पेन अ लिटल क्विकिश.”
अगले ओवर की समाप्ति पर एक सार्वजनिक उद्घोषणा हुई और भीड़ ने खड़े
होकर आर्लट का अभिवादन किया. मैदान पर पूरी ऑस्ट्रेलियाई टीम और दोनों अँगरेज़
बल्लेबाजों और अम्पायर ने भीड़ का साथ दिया. जेफ़्री बायकाट ने आदर में अपने दस्ताने
उतार कर हाथ हिलाए.
अपने अंतिम दिनों में आर्लट चैनल आईलैंड्स के एल्डरनी में बस गए थे,
और वहीं उन्होंने अपनी तीसरी पत्नी पैट्रीशिया, अपनी किताबों और आलीशान वाइन्स से
सुसज्जित अपने वाइन-सेलर के साथ समय बिताया. यहाँ अक्सर उनके दोस्त आया करते थे
जिनमें सबसे नियमित आगंतुक इंग्लैण्ड के महानतम ऑलराउंडर इयान बॉथम रहे.
इयान बॉथम |
१९९१ में नींद में ही उनकी मृत्यु हो गयी. उनकी कब्र के पत्थर पर
उन्हीं की कविता की दो पंक्तियाँ उत्कीर्ण हैं: “So clear you see those
timeless things, That, like a bird, the vision sings”.
लम्बे समय तक उनके साथी रहे और उतने ही महान कमेंटेटर ब्रायन जॉनस्टन
ने उनके जीवन को सम-अप करते हुए लिखा: “उन्होंने क्रिकेट की धर्मगाथा को दुनिया भर
में उस तरह फैलाया जिस तरह और कोई नहीं फैला सकता था.”
(अगले कमेंटेटर बीबीसी के
ब्रायन जॉनस्टन)
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