Thursday, January 22, 2015

ऐसा क्यों नहीं कहते ओबामा

कबाड़ी योगेश्वर सुयाल दैनिक भास्कर के जालंधर संस्करण के स्थानीय सम्पादक हैं. बहुत दिनों बाद कबाड़खाने के लिए कुछ भेजा है उन्होंने. अवश्य पढ़ें-


अमेरिका की पाकिस्तान को दी चेतावनी चौंका देने वाली है. वॉशिंगटन ने इस्लामाबाद को सचेत किया है कि राष्ट्रपति बराक ओबामा की भारत यात्रा के दौरान किसी तरह के आतंकी हमले न हों!

क्या इसका अर्थ यह हुआ कि ओबामा की यात्रा से पहले या बाद में भारत में पाकिस्तान-पोषित अातंकी हमले अमेरिका को मंजूर हैं? क्या इससे यह ध्वनि नहीं निकलती कि आतंक के विरुद्ध युद्ध का अमेरिकी नारा खोखला है?

ओबामा की सुरक्षा की जितनी चिंता वॉशिंगटन को है, उससे कहीं अधिक नई दिल्ली को है. अमेरिकी राष्ट्रपति के हमारे यहां रहते कोई परिंदा भी -तयशुदा कार्यक्रम के परे- पर नहीं मार सकेगा. किन्तु एेसी चेतावनी से पहले अमेरिका को यह सोचना चाहिए कि जितने ओबामा महत्वपूर्ण हैं - उतना ही महत्व सवा सौ करोड़ भारतीय नागरिकों की ज़िंंदगी का है. वे क्यों याद नहीं आए?

एेसी चेतावनी के साथ ही अमेरिका ने पाकिस्तान को धमकाया भी है कि यदि हमले हुए तो परिणाम भुगतने को तैयार रहें.ऐसी धमकी एक ही बात सिद्ध करती है - धक्का पहुँचाने वाली बात. वो यह है : अमेरिका का पाकिस्तान पर इतना सशक्त नियंत्रण है कि वह आतंकी हमले रुकवा सकता है! तो रुकवा क्यों नहीं रहा?

अमेरिका ऐसा चाहता ही नहीं. उसके पाक को लेकर ऊंचे मिलिट्री हित हैं. डिप्लोमेटिक हित हैं. उसकी पाक से सैन्य-संधि तो खैर है ही. कोई 1800 करोड़ डॉलर तो अमेरिकी कांग्रेस ने अधिकृत रूप से पाक सेना और अर्थव्यवस्था के लिए मंजूर किए हैं पिछले 10 वर्षों में. हालांकि, 2010 के बाद के पूरे आंकड़े सामने भी नहीं आ रहे. इसी के बाद यह आरोप बढ़ा है कि पाक, सेना और आईएसआई के मार्फत आतंकी संगठनों को ट्रेनिंग देने में ये पैसा लगा रहा है.

यह तो रही अमेरिकी पैसों की बात. अब ओबामा जब भारत के गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि बनकर आने वाले पहले अमेरिकी राष्ट्रपति बन रहे हैं, तो उनसे अपेक्षा अलग है. उनसे उम्मीद है कि वे सीधे शब्दों में पाकिस्तान को यह चेतावनी देंगे कि सिर्फ उनकी यात्रा के दौरान ही नहीं, भारत पर -या कि कहीं भी- आतंकी हमले नहीं होने देंगे. फ्रांस में आतंक के बाद अमेरिकी नेतृत्व विश्व नेताओं के साथ एकजुटता दिखाने पेरिस नहीं पहुंचा. बाद में निंदा के कारण ओबामा ने खेद व्यक्त किया.

ऐसी चेतावनी हमें एक अलग तरह से चेताती है. ओबामा हमारे मेहमान हैं- उनका पूरा स्वागत है. वे चाहें तो नई पहल कर सकते हैं

1 comment:

imrankhan said...

वियतनाम, अमेरिका, ईरान, इराक, अफगानिस्तान, पाकिस्तान। हर जगह अमेरिका मेहरबान। तालिबान से आप सहमत या असहमत हो सकते हैं लेकिन दुनिया में वही है जो सीधा अमेरिका से लड़ रहा है...