Monday, March 16, 2015

एक पेंटिंग और उसकी तफ़सील

पास्कल-अडोल्फ़-ज्यां डैन्जेन बूवेरे (७ जनवरी १८५२- ३ जुलाई १९२९) फ्रांसीसी प्रकृतिवादी चित्रकला के बड़े नाम हैं. पेरिस में एक दर्जी के घर जन्मे पास्कल को उनके दादाजी ने पाला क्योंकि उनके पिता सब कुछ छोड़ कर ब्राज़ील चले गए थे.  

१८६९ से उन्होंने अलेक्सान्द्र कबानेल और ज्यां-ल्यों जेरोम से कला का प्रशिक्षण लिया. १८७३ में उन्होंने अपने सहपाठी गुस्ताव-क्लाउड के साथ अपना स्टूडियो खोल लिया.

१८७५ से उन्होने विख्यात ‘द सैलून’ में अपने चित्रों की प्रदर्शनी लगाना शुरू किया जहाँ उन्हें १९८० में पेंटिंग ‘द एक्सीडेंट’ के लिए फर्स्ट-क्लास मैडल दिया गया.

इसी दशक के मध्य तक उन्हें फ्रांस के प्रतिनिधि पेंटरों में गिना जाने लगा था. उनकी रचनाओं में प्रकृति के अतिरिक्त अध्यात्म और धर्म ने भी अपनी जगह बनाना इस दौरान शुरू कर दिया था. वे अब भी अपने सहपाठी गुस्ताव-क्लाउड के साथ मिलकर ही काम किया करते थे. उनकी विशालकाय पेंटिंग ‘द लास्ट सपर’ १८९६ में प्रदर्शित की गयी. अपने चित्रों में यथार्थ का समावेश करने के उद्देश्य से फ़ोटोग्राफ़ी को उनमें निहित करने का काम करने वाले वे पहले कलाकार थे. वर्ष १९०० में उन्हें इंस्टीट्यूट दे फ्रांस का सदस्य बनाया गया.


आज उनकी सबसे मशहूर पेंटिंग ‘The petit savoyard eating in front of an entrance to a house’ देखिये. साथ ही उसके दो डीटेल्स भी -

The petit savoyard eating in front of an entrance to a house, १८७७


पास्कल-अडोल्फ़-ज्यां डैन्जेन बूवेरे

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