Tuesday, February 16, 2016

ज़रूर आकाश में मेरी कोई चाबी लगती है

हेनरी रूसो की पेंटिंग

आकाश की तरफ़

-विनोद कुमार शुक्ल

आकाश की तरफ़
अपनी चाबियों का गुच्छा उछाला
तो देखा
आकाश खुल गया है
ज़रूर आकाश में
मेरी कोई चाबी लगती है!
शायद मेरी संदूक की चाबी!

खुले आकाश में
बहुत ऊँचे
पाँच बममारक जहाज
दिखे और छुप गए
अपनी खाली संदूक में
दिख गए दो-चार तिलचट्टे
संदूक उलटाने से भी नहीं गिरते!

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