दिलीप मंडल की फेसबुक वॉल से साभार-
शिल्पी तिवारी जी, मैंने
कहा परनाम!
चैनलों और शिल्पी
तिवारी का एहसान मानिए कि उन्होंने जेएनयू के वीडियो में हाफिज सईद, दाऊद
इब्राहिम, गब्बर सिंह, डॉक्टर डैंग,
ओसामा बिन लादेन, मसूद अजहर वगैरह को नहीं डाला. चैनलों और
शिल्पी तिवारी को प्रणाम!
देश इस बात के लिए
उनका आभारी रहेगा कि वे नारों का फर्जी ऑडियो यानी साउंड ट्रैक जोड़ कर संतुष्ट हो
गए. उनके इस संतोष को प्रणाम!
यह क्या चैनलों का
मामूली त्याग है कि उन्होंने जेएनयू के वीडियो में डॉ. रोहित वेमुला को मुंह ढककर
नारे लगाते नहीं दिखाया. चैनलों के त्याग को प्रणाम!
चाहते तो उस वीडियो
में वे हरे रंग के एलियन यानी परलोकवासी भी डाल सकते थे. जेएनयू में वे दुश्मन देश
का मिसाइल लॉन्च पैड भी दिखा सकते हैं. उन्होंने संयम से काम लिया. उनके संयम को
प्रणाम!
चैनल चाहते तो
स्टूडेंट्स के सिर पर सींग भी लगा सकते थे. उन्होंने ऐसा नहीं किया, इसके
लिए उन्हें प्रणाम!
स्वर्ग की सीढ़ी, गाय
चुराते एलियन, जलपरी, डायन मांगे
पेट्रोल, नागिन का बदला जैसी खबर दिखाने वालों की प्रतिभाओं
को प्रणाम.
शिल्पी तिवारी के
वीडियो शिल्प को प्रणाम.
शिल्पी तिवारी को
अपने मंत्रालय में ऊंची तनख्वाह पर कंसल्टेंट बनाने वाली मनुस्मृति ईरानी को
प्रणाम!
मनुस्मृति ईरानी को
शिक्षा का कामकाज सौंपने वाले नरेंद्र मोदी को प्रणाम!
सबको प्रणाम!
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