Thursday, March 17, 2016

निरीह से शर्मिन्दा होने का समय

आज एक शानदार फ़ोटोग्राफ़र और अपने बेहद पुराने और ख़ास दोस्त संजय नैनवाल की फेसबुक वॉल पर लगी इस तस्वीर ने बेहद व्याकुल किया. यह शक्तिमान नाम के उसी शानदार घोड़े की एक पुरानी तस्वीर है जिसे संजय ने अपनी एक किताब के लिए कुछ साल पहले क्लिक किया था और जिसके साथ हाल ही में एक राजनेता ने पशुवत व्यवहार कर उसे अपाहिज बना दिया है. मनुष्यता को शर्मसार करने वाली उस दूसरी फोटो को, जिसने फेसबुक पर वायरल का दर्ज़ा  हासिल कर लिया है, मैं यहाँ पोस्ट नहीं करना चाहता.  

फ़ोटो एवं कॉपीराइट: संजय नैनवाल 

इन बर्बर मनुष्यों को आलोक धन्वा ने अपनी मशहूर कविता 'सफेद रात' में 'युद्ध सरदार' कहा था. इन्हीं युद्ध सरदारों से वे अपनी कविता एक हिस्से में सवाल करते हैं -

... वे तो खजूर का एक पेड़ भी नहीं उगा सकते हैं 
वे तो रेत में उतना भी पैदल नहीं चल सकते
जितना एक बच्चा ऊँट का चलता है 
ढूह और ग़ुबार से 
अंतरिक्ष की तरह खेलता हुआ
 
क्या वे एक ऊँट बना सकते हैं ?
एक गुंबद एक तरबूज़ एक ऊँची सुराही 
एक सोता 
जो धीरे-धीरे चश्मा बना
एक गली
जो ऊँची दीवारों के साये में शहर घूमती थी
और गली में
सिर पर फ़िरोज़ी रूमाल बाँधे एक लड़की
जो फिर कभी उस गली में नहीं दिखेगी ...


जल्दी से अच्छे हो जाओ शक्तिमान! दुआ!


संजय नैनवाल

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