मैं डरता हूँ
- अफ़ज़ाल अहमद सैय्यद
- अफ़ज़ाल अहमद सैय्यद
मैं डरता हूँ
अपने पास की चीजों को
छू कर शायरी बना देते हैं
रोटी को मैं ने छुआ
और भूख शायरी बन गई
उँगली चाकू से कट गई
और ख़ून शायरी बन गया
गिलास हाथ से गिर कर टूट गया
और बहुत सी नज़में बन गईं
मैं डरता हूँ
अपने से थोड़ी दूर की चीजों को
देख कर शायरी बना देने से
दरख़्त को मैंने देखा
और छाँव शायरी बन गई
छत से मैंने झाँका
और सीढ़ियाँ शायरी बन गईं
इबादत-ख़ाने पर मैंने निगाह डाली
और ख़ुदा शायरी बन गया
मैं डरता हूँ
अपने से दूर की चीजों को
सोच कर शायरी बना देने से
मैं डरता हूँ
तुम्हें सोच कर
देख कर
छू कर शायरी बना देने से
अपने पास की चीजों को
छू कर शायरी बना देते हैं
रोटी को मैं ने छुआ
और भूख शायरी बन गई
उँगली चाकू से कट गई
और ख़ून शायरी बन गया
गिलास हाथ से गिर कर टूट गया
और बहुत सी नज़में बन गईं
मैं डरता हूँ
अपने से थोड़ी दूर की चीजों को
देख कर शायरी बना देने से
दरख़्त को मैंने देखा
और छाँव शायरी बन गई
छत से मैंने झाँका
और सीढ़ियाँ शायरी बन गईं
इबादत-ख़ाने पर मैंने निगाह डाली
और ख़ुदा शायरी बन गया
मैं डरता हूँ
अपने से दूर की चीजों को
सोच कर शायरी बना देने से
मैं डरता हूँ
तुम्हें सोच कर
देख कर
छू कर शायरी बना देने से
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