"चिंतित
आदमी किसी भी काम को सफलतापूर्वक नहीं कर सकता ... क्योंकि जब आप अन्यमनस्क होते
हैं आपका दिमाग किसी भी बात को गहरे नहीं
समझ सकता, उलटे वह हर उस चीज़ को नकारता है
जो उसके भीतर दरअसल ठूंसी जा रही होती हैं. जीना एक अन्यमनस्क व्यक्ति के लिए सबसे गैरज़रूरी
गतिविधि होती है; लेकिन सीखने को इससे
मुश्किल कोई भी चीज़ नहीं. यह सीखना कि कैसे जिया जिया जाय पूरा जीवन ले लेता है; और आपको यह जानकर हैरत होगी कि यह
सीखने में पूरा जीवन लग जाता है कि मरा कैसे जाय.
हर कोई अपने
जीवन को आगे ठेलता जाता है और भविष्य की कामना और वर्तमान की थकन से परेशान रहता
है. ऐसा आदमी जो अपने दिन को इस तरह व्यवस्थित करता है मानो वह उसका आख़िरी दिन हो,
न तो अगले दिन की कामना करता है न उससे डरता है. इस जीवन में से कुछ भी निकाला नहीं
जा सकता, और उसमें आप सिर्फ इतना ही जोड़
सकते हैं जैसे कि आप किसी पूरी तरह संतुष्ट व्यक्ति को वह भोजन दें जिसकी उसे
इच्छा नहीं है और जिसे वह केवल थामे रह सकता है. सो आपको यह कभी नहीं सोच लेना
चाहिए कि फलां व्यक्ति ने लंबा जीवन जिया है क्योंकि उसके बाल सफ़ेद हैं और जिस पर
झुर्रियां गिर चुकी हैं. वह लम्बे समय तक जिया नहीं है, उसका बस लम्बे समय तक
अस्तित्व बना रहा है. मान लीजिये कि एक आदमी एक ऐसी लम्बी यात्रा पर रहा जिसमें
बंदरगाह छोड़ने के बाद से वह भीषण तूफानों में फंसा रहा और एक दूसरे के खिलाफ बहती
हवाओं ने उसे इधर से उधर और उधर से इधर के तमाम चक्रों में उलझाए रखा. उसने कोई
लम्बी यात्रा नहीं की, वह बस डोलता रहा.
यह
अवश्यम्भावी है कि उन लोगों के लिए जीवन न सिर्फ बेहद छोटा होगा जो कड़ी मशक्कत से
चीज़ों को हासिल करते हैं और जिन्हें
अपने पास बनाए रखने के लिए जिन्हें और भी कड़ी मशक्कत करनी पड़े. उनका जीवन बहुत दुखी भी होगा. वे उन चीज़ों
को श्रम करके प्राप्त करते हैं जिनकी उन्हें चाह होती है. उनके पास वह होता है
जिसे उन्होंने बड़ी चिताओं से हासिल किया है. और इस दरम्यान वे उस समय का कोई हिसाब
नहीं रखते जो कभी लौट कर नहीं आने वाला. नई चिताएं पुरानी चिंताओं की जगह ले लेती
हैं, उम्मीद उत्तेजित होकर और
उम्मीदें पैदा करती है और महत्वाकांक्षा और अधिक महत्वाकांक्षाएं. वे अपने दुख का
अंत करने का जतन नहीं करते, वे बस उसके कारण को बदलते रहते हैं.
असल में उन
सारे लोगों की स्थिति दुखभरी होती है जिनका मन कहीं और लगा होता है. लेकिन सबसे
ज्यादा दुखी वे लोग होते हैं जो अपनी खुद की चिंताओं पर मेहनत नहीं करते; उलटे
उन्हें अपनी नींद को दूसरों की नींद के आधार पर नियमित करना होता है, दूसरे के
कदमों के हिसाब से चलना होता है, और उन्हें दुनिया की सबसे स्वतंत्र चीज़ों - प्रेम
और घृणा - में दूसरों के आदेश मानने होते हैं. अगर ऐसे लोग यह जानना चाहते हैं कि
उनके जीवन कितने संक्षिप्त हैं तो उन्हें इस बात पर विचार करने दो कि उनके जीवन का
कितना हिस्सा उनका अपना है."
(जारी)
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