बाबूलाल जी पिछले पांच साल से हल्द्वानी नहीं आए हैं. उसके पहले हर साल आया करते थे. पता नहीं अब हैं भी या नहीं. उनके बारे में सोच रहा हूँ तो गला भर आया है. अभी एक दोस्त ने उस पोस्ट का ज़िक्र किया. फिर से लगा रहा हूँ पहली बार 2008 में लगाई गयी इस पुरानी पोस्ट को.
ये हैं बाबूलाल जी. सिल बट्टे ठीक किया करते हैं. हर साल एक बार हमारे घर आते हैं. बरेली के रहने वाले हैं. उमर बकौल उन्हीं के कोई पिचहत्तर अस्सी पिचहत्तर. बजाए मैं अपनी तरफ़ से कुछ जोड़ूं, एक छोटा सा वीडियो देखिये उनका. वीडियो लिया है रोहित उमराव ने और उनसे बातचीत भी वही कर रहे हैं -
2 comments:
बहुत सारे बाबूलाल गायब हो गये । बाबूलालों को गायब करने का माहौल तैयार कर मौज कर तो रहा है बाबुओं का लाल।
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन डॉ. सालिम अली - राष्ट्रीय पक्षी दिवस - ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
Post a Comment