Tuesday, October 9, 2007

विएना डायरी से


यमन की पहली फीचर फिल्म : A New Day in Old Sana'a

एक छोटा सा अरबी देश है यमन। यमन की राजधानी सना अपने अद्वितीय वास्तुशिल्प के लिए विश्वविख्यात है और यूनेस्को ने पूरे सना शहर को वैश्विक धरोहर के तौर पर गोद लिया हुआ है। सना की जितनी भी तस्वीरें मैंने देखी हैं वे मुझे चमत्कारिक लगी हैं और मैं एक बार शर्तिया वहां जाना चाहूंगा। बेहद परंपरावादी यमन में सन 2005 तक कोई फिल्म नहीं बनी थी। बदर बिन हिरसी नाम के एक युवा फिल्मकार ने ‘अ न्यू डे इन ओल्ड सना’ के रूप में यमन की पहली फिल्म बनाने का कारनामा अंजाम दिया। इस फिल्म का विएना में प्रीमियर हुआ।

विएना के प्रतिष्ठित मैट्रो सिनेमा में बदर बिन हिरसी बाकायदा खुद मौजूद थे। फिल्म शुरू होने से पहले सिनेमाहाल के निर्देशक दर्शकों से बदर बिन हिरसी का परिचय कराते हैं। हिरसी थोड़ा बहुत फिल्म के बारे में बताते हैं और यह भी वायदा करते हैं कि फिल्म के बाद वे किसी भी तरह के सवाल का जवाब खुशी से देंगे।

एक यूरोपीय फोटोग्राफर फेदेरिको सना में आया हुआ है और एक रईस परिवार से ताल्लुक रखने वाला तारिक नाम का एक स्थानीय नौजवान उसके सहायक का काम कर रहा है। तारिक का विवाह एक हफ्ते के भीतर सना के एक बेहद धनवान न्यायाधीश की बेटी बिल्कीस के साथ होने वाला है। हालांकि दोनों की मुलाकात नहीं हुई है पर इस विवाह को लेकर दोनों परिवार प्रफुल्लित हैं। एक रात यूं ही टहलते हुए तारिक एक युवती को वही पोशाक पहने देखता है जो उस ने बिल्कीस को बतौर भेंट भिजवाई है। तारिक समझता है कि पोशाक पहने वह अतिसुन्दर युवती बिल्कीस है और उस से प्रेम करने लगता है। असल में वह पोशाक किसी और ने पहनी होती है और इस तरह शुरू होती है एक प्रेमकहानी जिसमें तारिक ने या तो अपने दिल की आवाज सुननी है या परिवार की परंपराओं का मान रखना है।

फिल्म की कहानी दरअसल बेहद लचर है और संयोगों पर अपनी अतिशय निर्भरता के चलते किसी भी बम्बइया फिल्म से टक्कर लेती है। ‘थियेटर आफ ओवरस्टेटमैन्ट’ की तर्ज पर खुद को अधिक विकसित संसार का सदस्य समझने वाले फोटोग्राफर की कमेन्ट्री उबाती है। फिल्म का सबसे चमकदार हिस्सा है सना शहर और यमन की संस्कृति और वहां की सुन्दर स्त्रियां। जो भी हो किसी भी देश की पहली फिल्म बनाना अपने आप में बड़ी बात है और नौजवान बदर बिन हिरसी को अरब फिल्म संसार ने तमाम अंतर्राष्ट्रीय सम्मानों से नवाजा है। काहिरा के 2005 के अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह में इसे श्रेष्ठतम अरब फिल्म का इनाम मिला।

बहरहाल शो के बाद बदर बिन हिरसी तालियों की गड़गड़ाहट के बीच दर्शकों के सामने आते हैं और फिल्म के निर्माण में आई समस्याओं के बारे में बताते हैं। दरअसल फिल्म के फोटोग्राफर की भूमिका पहले मथायस नाम का एक ऑस्ट्रिआई अभिनेता करने वाला था। संयोगवश वह भी हाल में मौजूद है। जाहिर है उसे भी स्टेज पर बुलाया जाता है। जिस दिन उस पर पहला शाट फिल्माया जाना था उसी दिन बगदाद में सद्दाम हुसैन को कैद कर लिया गया। जार्ज बुश के इस कारनामे का खामियाजा उस दिन सना में इस कलाकार को भुगतना पड़ा। एक गुस्साए आदमी ने मथायस पर चाकुओं से वार कर उसे बुरी तरह घायल कर दिया। परिणामतः मथायस को वापस विएना लौटना पड़ा और पाओलो रोमानो को उसकी जगह लिया गया।

फिल्म में स्त्रियों के प्रति पुरुषवादी रवैए से आहत दर्शकों में से एक महिला हिरसी से एक टेढ़ा सवाल करती है पर हिरसी बहुत चतुराई से बात मोड़ देता है। वह महिला फिर हिरसी को बताती है कि जर्मनी के नोबेल विजेता लेखक गुन्टर ग्रास ने कुछ साल पहले यमन पर एक फिल्म बनाई थी जिस पर हिरसी अपना विषय बदल कर डाक्यूमैन्ट्री के बारे में बताने लगते हैं। हिरसी अर्से से इंग्लैण्ड में रह रहे हैं और भीड़ के सामने अपने दिमाग को काबू में बनाए रखना जानते हैं। हाल में यमन के राजदूत महोदय भी आए हुए हैं।

सवाल जवाब के बाद युवा फिल्मकार की तारीफ में कसीदे पढ़े जाते हैं। हाल से बाहर आकर ईवा मुझसे मेरी प्रतिक्रिया जानना चाहती है। फिल्म पर जाने अनजाने बम्बइया फिल्मों के प्रभाव को लेकर हम दोनों सहमत हैं। साल में तीन सौ से ऊपर फिल्में देखनेवाली ईवा फिल्म को लेकर इस लिए प्रसन्न है कि कम से कम सना शहर पहली बार किसी फिल्म में इस विस्तार के साथ दिखाया गया। जब मैं निर्देशन वगैरह पर उस से पूछता हूं वह एक वाक्य में सब कुछ कह देती है : “ही इज़ अ स्मार्ट यंग मैन दैट्स आल।”

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