ये कविता कुशल कबाड़ी को याद दिलाने के लिए कि बहुत सा सामान अब भी पीछे छूटा पडा है। आशुतोष, दीपा और सिद्धेश्वर जैसे कबाड़ी ज़रूर उस दौर की गवाही देंगे.....
जब सोती होंगी सुन्दर लडकियां
जब सोती होंगी सुन्दर लडकियां
-- नींद की खूबसूरत परियां आकर बिछा जाती होंगी
सफ़ेद पंखों का नर्म मुलायम बिछौना
बड़ी-बड़ी और शोख काली आंखें तैरती होंगी
बंद पलकों के नीचे
सपनों के आसमानी समुन्दर में
अधखिले गुलाब की पंखुड़ियों जैसा मुस्कुराते होंगे होंठ
जब सोती होंगीं सुन्दर लडकियां
जब सोती हैं सुन्दर लडकियां -
शहर के लड़के रेडियो पर सुनते हैं मुकेश और रफी के गाने
जागते हैं वे सिरहाने किताब, तस्वीर, चिट्ठी रख कर
बेवक़ूफ़ लड़कों !
जब सो रही होतीं हैं सुन्दर लडकियां
उनके बाल बिखर जाते हैं
कुछ तो लेती हैं आधी रात के बाद खर्राटे
वैसे तुम मानोगे नहीं
मगर उनके होंठों के किनारों से भी निकल आती है कभी-कभी
थूक की लंबी लकीर
सुबह तड़के उठ कर ही दांत साफ कर लेंगी
चेहरा धो लेंगी
बाल संवार लेंगी सुन्दर लड़कियाँ
बेवक़ूफ़ लडके
दस बजे तक सोते रहेंगे !
प्रस्तुति : शिरीष मौर्य
17 comments:
जय हो कबाड़ेश्वर जी. यहाँ देखा, वहाँ देखा... कहाँ कहाँ नहीं देखा आपको.
ये कविता उस शाम पढ़ी गई थी जब हम सब सरदार की गुफा में जमा हुए थे.
उस शाम और भी बहुत कुछ हुआ था..
मसलम गोपू छर्रे ने शायद कुमार गंधर्व गाया था...
याद है सरदार की गुफा?
अब यहाँ मिलेंगे.... ऐसा सोचा भी न था.
वीरेन दा को इस प्रतिक्रिया के ज़रिए सलाम... अगर वो मुझे भूले न हों तो.
भाई सिद्धेश्वर... आप वही नैनीताल (ब्रुकहिल वाले) सिद्धेश्वर हैं क्या... जो केनफ़ील्ड हॉस्टल भी आए... कविताएँ सुनीं, सुनाईं... फिर कहीं अंतर्धान हो गए?
हाँ मैं वही राजेश जो. हूँ मित्र.
संपर्क रहै... तो अच्छा रहैगा.
to pehali pratikriya aapne di joshi ji. Main aapke liye begaana hun par mera salaam qubool kijiye.
chipkaanewala..........kabadi.....
SHIRISH MOURYA
ये क्या किया प्यारे हिरिया। मेरा पुराना कूड़ा चेप दिया। इस दूकान के छोले … मतलब शोले बिक चुके हैं। चलो इस बहाने लन्दन वाले जोस्ज्यू और सिद्धेश्वर बाबा की दुआसलाम तो चालू हुई। राजेश जो से रिक्वेस्ट है कि जल्दी हियां कुछ बढ़िया कूड़ा परोसें। और शिरीष बाबू तुम्हारी सिन्सियरिटी देख कर अन्ना खुश हुआ … बने रओ लल्ला।
पंडा जी.... अपना जी-मेल चेक कर ले. मैंने चे दाज्यू की कुछ तसावीर भेजी हैं. उनका तुरंत इस्तेमाल कर ले. मैं ही कर लेता लेकिन मुझे तकनीक नहीं आती.
अनुनाद जी...आप कहाँ से बेगाने हो गए.
दुनिया के कबाड़ियों -- एक होओ. तुम्हारे पास खोने को सिर्फ़ कबाड़ है. और पाने को...?
namaskar daju..(london waale) kya haal. baal bacheche sab bhal? sardar se kya aapka matlab mere pujya pati se tha :). Ashokda yaad hai... aapki is kavita ke jawab main maine bhee ek kavita par dali thee ek goshti main..
Shirishji kya aap Ranikhet main rahtain hain aur aapki patni ka naam hai gudia hai?
Shidheshwarji se kabhee mulakaat nahin hui lakin suna bahut hai.isi pahchan ke naate namskaar.
पूज्य पति होगा तेरा. हमारा तो सरदार है.
दिपुली... ये कबाड़ख़ाने को पोस्ट ऑफ़िस बना डाला है हमने.
लेकिन कबाड़ख़ाने और होते किस वास्ते हैं?
सोनापानी में ठंड पड़ने लगी होगी.
अबै सारी खतौ किताबत हियां पे कल्लेओगे क्या। लिखौगै ना। जे बात ठीक ना जोसी जी और दिपा.
DEEPA JEE GUDIYA yani SEEMA HI MERI POOJY PATNI HAI AUR MAIN RANIKHET ME REHTA HUN. APNE SAB KUCHH SAHI PAHCHAANA.
ये कविता की जड़ें तो बाज्यू बड़ी पुरानी ठैरी। तलताल में एक ठैरा हिमालय होटल। वहां रहने वाले ठैरे अशोक पाड़े और उनके दो-चार चेले चांटी। एक से एक लंबरदार, खबीश। तब कबाड़ी बिरादरी का बस बीज ही डल रहा था। ऐसे महौल में बन्ने वाली हुईं साब ऐसी कविताएं। इजा! इसे ब्लाग में डाल्के तो तुम लोगों ने छपछपी जैसी लगा दी ठैरी।
लेकिन ये क्या, कबाड़खाने को तो तुम लोग नैनतलियों का ब्लॉग बनाने पर तुल गए हो क्या!!
प्यारे राजेश जो ( शी )
हां मै वही ब्रुकहिल वा सिद्धेश्वर हं । बीच -बीच में हाइबरनेशन में चला जाता हं लकिन अब लग रहा है कि िुर से मित्रों से जुड़ रहा हं । संपर्क बना रेगा । अशोक से ई मेल - शी मेल आदि लेता हं अभी तक है मेरी याद यह जानकर बहुत अच्छा लगा । जीते रहो प्यारे । हम हैं तुम्हारे ।
maan gaye guru aapne toh sundar ladkiyon ki badi khoobsuratii se beijjati kar di.
बहुत अच्छी कविता है भाई. लेकिन कबाड़ी बाजार के हिसारब से नयी आइटम लगे है. वैसे भी जब हम कबाड़ी के पास जाते हैं तो पूछते हैं कि क्या नया है.
सूरज
ये राजेश जो कौन है, जनसत्ता वाला बुर्जुआ जनवादी क्या? अगर वहीं है तो उसके लिये मेरे पास दस साल में बहुत सारी गालियां जमा हो गई हैं।
और दीपा जी, वो अमर उजाला वाली, खबर बनाने की मशीन क्या?
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