मुझे उम्मीद है सुधीजनों ने 'जयपुर फ़ुट' का नाम कभी न कभी ज़रूर सुना होगा। जी हां, दुर्भाग्यवश किसी वजह से जब किसी अपने-बेगाने के या उन के किसी परिचित-संबंधी को एक या दो पैर कट जाते थे तो आखिरकार लोग 'जयपुर फ़ुट' लगवाने की राय दिया करते थे। इस कृत्रिम पैर का आविष्कार डाक्टर पी के सेठी ने किया था। पद्मश्री और प्रतिष्ठित मैगासेसे सम्मान उन्हें नवाज़े जा चुके थे।
लाखों विकलांगों के जीवन में प्रकाश लाने वाले डाक्टर पी के सेठी का दिल के दौरे के कारण बीते शनिवार को देहान्त हो गया। वे अस्सी वर्ष के थे और लगातार काम में जुटे रहे. २३ नवम्बर १९२७ को जन्मे डाक्टर सेठी ने इंग्लैंड से FRCS की डिग्री हासिल करने के बाद १९६८ में जयपुर फ़ुट का निर्माण किया था.
रिटायर होने के बाद वे एक स्वयंसेवी संस्था से लगातार जुड़े रहे. इस सत्कर्म में उनके सहायक पं. रामचंद्र मिश्र जी (मास्टरजी के नाम से विख्यात) का योगदान भी अविस्मरणीय है.
दुनिया भर में करीब द्स लाख लोगों को इस महाकार्य का लाभ मिला.
इस महर्षि के अवसान पर कबाड़खाना उन्हें सादर याद करता है.
इस बारे में अधिक जानने के लिए http://www.jaipurfoot.org/ पर जाएं
लाखों विकलांगों के जीवन में प्रकाश लाने वाले डाक्टर पी के सेठी का दिल के दौरे के कारण बीते शनिवार को देहान्त हो गया। वे अस्सी वर्ष के थे और लगातार काम में जुटे रहे. २३ नवम्बर १९२७ को जन्मे डाक्टर सेठी ने इंग्लैंड से FRCS की डिग्री हासिल करने के बाद १९६८ में जयपुर फ़ुट का निर्माण किया था.
रिटायर होने के बाद वे एक स्वयंसेवी संस्था से लगातार जुड़े रहे. इस सत्कर्म में उनके सहायक पं. रामचंद्र मिश्र जी (मास्टरजी के नाम से विख्यात) का योगदान भी अविस्मरणीय है.
दुनिया भर में करीब द्स लाख लोगों को इस महाकार्य का लाभ मिला.
इस महर्षि के अवसान पर कबाड़खाना उन्हें सादर याद करता है.
इस बारे में अधिक जानने के लिए http://www.jaipurfoot.org/ पर जाएं
3 comments:
आज हर सजग भारतीय को दो आंसू बहाने चाहिये. जयपुर फुट ने तो लाखों गरीब लोगों को एक नया जीवन (पैर) दिया है. हाय, चला गया वह मसीहा !!
वाकई! जयपुर फ़ुट ने लाखों लोगों को डग भरने का संबल दिया!!
श्रद्धांजलि उन्हें!
great man,may god rest is soul in peace.
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