Friday, January 11, 2008

कबाड़ख़ाने के नए कबाड़ी विमल भाई का स्वागत


कबाड़ख़ाने में नये कबाड़ी विमल वर्मा आ गये हैं। वे छब्बीसवें कबाड़ी हैं। विमल भाई ठुमरी नाम का एक नायाब ब्लाग चलाते हैं और संगीत के गहरे जानकार हैं. उनकी दुकान में आपको कैरिबियाई चटनी संगीत मिलेगा तो आबिदा परवीन का गाया 'बाजूबन्द खुल खुल जाए भी'. रंगमंच और कला-संसार से लम्बे समय से जुड़े विमल फ़िलहाल बम्बई में एक टीवी चैनल से संबद्ध हैं. यहां स्वागत की रस्म निभाते हुए आइये कीर्तन करें और उम्मीद करें कि कबाड़वाद के प्रचार-प्रसार में वे अपना उल्लेखनीय योगदान देंगे।

5 comments:

Ashok Pande said...

खु़शआमदीद विमल भाई, और हमें तो सोनार की सोना पर बड़ी बिसवास हमेशा से रही है. धन्यभाग हम कबाड़ियों के.

Dinesh Semwal said...

vimal verma ji ka kabaadkhaanay main swagat hai.

dinesh semwal

VIMAL VERMA said...

अहो भाग्य हमारे,आप जैसे श्रेष्ठ कबाड़ियों का सानिध्य कौन नही चाहेगा,आपने हमें शामिल किया इसका शुक्रिया अदा करता हूँ,मै कबाड़खाने के लिये कुछ सार्थक काम आ सकूँ,ये मेरी कोशिश रहेगी !!

अजित वडनेरकर said...

विमलजी की सुरीली आमद ने आनंदित कर दिया।
स्वागत है विमल भाई..

दिलीप मंडल said...

एसो हे बंधु आमार। वेलकम है विमल भाई।