Tuesday, January 15, 2008

एक नूर से सब जग उपज्या


नुसरत की गुरबानी सीरीज़ को आप यहां और मोहल्ले पर पहले भी सुन चुके हैं। आज प्रस्तुत है उनकी आवाज़ में एक और गुरबानी : "अव्वल अल्लाह नूर उपाया, कुदरत के सब बन्दे'।
(१३ मिनट ५० सेकेण्ड)



3 comments:

Uday Prakash said...

बहुत सुन्दर! सूफ़ियाना कबीर....! बहुत बहुत आभार!

ghughutibasuti said...

बहुत सुन्दर !
घुघूती बासूती

मनीषा पांडे said...

बहुत सुंदर है.. ऑफिस के कामों के बीच मेरा एक दिन गुलजार करने के लिए शुक्रिया....