Thursday, February 21, 2008

कविता

अपने शहर में

अपने पुश्तैनी शहर पिपरिया को याद करते

अपने शहर में

जब मैं कुछ बोलता था

तो उसका

जवाब आता था


अब मैं बोलता रहता हूँ

अकेला ही

किसी काम नहीं आता

मेरा बोलना

यह बताने के भी नहीं

कि मैं

अपने शहर में हूँ !

2 comments:

siddheshwar singh said...

बहुत दिनों के बाद?

शिरीष कुमार मौर्य said...

चचा बहुत दिनों के बाद !
आप भी तो मुझसे बोले बहुत दिनों के बाद!