उस्ताद नुसरत फ़तेह अली खाँ साहब की गायकी के बारे में यही कहा जा सकता है कि एक बार भी सुन लीजिये इस आवाज़ को तो मुरीद हो ही जाएंगे,उनकी कव्वालियाँ तो हमने बहुत सुनी है और उनके साथ गार्बरेक से लेकर बहुत से नाम हैं जो हमेशा उनकी आवाज़ के साथ प्रयोग करते रहे.... जिसे सुनना हमेशा सुखद रहा है....पर आज मैं उनकी अलग सी रचना आपके लिये लेकर आया हूँ .... ये भजन है पर इस भजन को उस्ताद नुसरत फ़तेह अली साहब ने अपने ही चिरपरिचित अंदाज़ में गाया पर इस रचना में खास बात है कि ये हिन्दी में है....मुझे पता नहीं है कि ये किस अलबम से है दरअसल ये रचना अंतर्जाल पर तलाशते हुए मिली है..कुछ अधूरी भी है पर बेहतर रचना थोड़ा भी सुन लें तो आनन्द तो आ ही जाता है..तो सुनिये एक भजन कव्वाली के अंदाज़ में, उस्ताद नुसरत फ़तेह अली खां साहब से.....
सांसों की माला पे सिमरूँ मैं पी का नाम....
6 comments:
bahut sundar....shayad kahin poora mile.
उदय जी, पूरा भी मिलेगा बहुत बहुत जल्दी. और इतना पूरा मिलेगा कि आप प्रसन्न हो जाएंगे. फ़ाइल अपलोड हो रही है ...
विमल भाई शुक्रिया इसे पोस्ट करने का.
daju maja aa gaya... pure ka intzar hai,
ख़ाँ साहब की आवाज़ परलोक की सैर करवा कर अहसास देती है कि हम घोर कलजुग के वासियों को तो इस पाक़ - साफ़ आवाज़ का ही आसरा है.
mast kar diya bhai! In this chutiyaapa laden atmosphere of blogosphere ur blog is like an oasis ji aaho!
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