'ऐसी किसी भी सोचने वाली चीज पर भरोसा कभी मत करो, जिसके बारे में यह न पता हो कि उसका दिमाग कहां है।'- हैरी पॉटर ऐंड द चैंबर ऑफ सीक्रेट्स
(संदर्भ- यह सूक्ति जिनी वीज्ली (जो सात खंडों की श्रृंखला के छठें खंड में हैरी पॉटर की प्रेमिका और सातवें के अंत में पत्नी बनती है) के पिता आर्थर वीज्ली दूसरे खंड के अंत में बोलते हैं, जब सारा खेल खत्म होते-होते बाल-बाल बच गया है। होता यह है कि अपने बाप की ईमानदारी की सनक के चलते उपजी अपने परिवार की लाइलाज गरीबी से त्रस्त ग्यारह साल की जिनी वीज्ली के हाथ एक सादी डायरी लग जाती है, जिसपर कोई भी बात लिखने पर प्रतिक्रिया या जवाब अपने आप लिखा हुआ आ जाता है। खलनायक वॉल्डेमॉर्ट जिनी की इस ग्रंथि का फायदा उठाते हुए पचास साल पुरानी अपनी इस डायरी के जरिए उसी के हाथों महाविध्वंस को अंजाम देने में लगभग कामयाब हो जाता है। किताब पढ़ते वक्त यह डायरी मुझे चैटरूम या ब्लॉग की याद दिला रही थी।)
1 comment:
" चैटरूम या ब्लॉग की याद दिला रही थी।"
वाह !
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