Sunday, July 27, 2008
काला राजा
जापानी के महानतम आधुनिक कवियों में गिने जाने वाले शुन्तारो तानीकावा (जन्म १९३१) ने स्विस-जर्मन कलाकार पॉल क्ली (१८७९-१९४०) की पेन्टिंग्स को लेकर ग्यारह कविताओं की श्रृंखला लिखी थी. उसी में से एक बेहद छोटी कविता 'काला राजा' प्रस्तुत है:
ख़ाली पेट एक बच्चा
उदास था क्योंकि ख़ाली था उसका पेट
भरे पॆट वाला एक राजा
उदास था क्योंकि उसका पेट था भरा हुआ
बच्चे ने हवा की आवाज़ सुनी
राजा ने संगीत सुना
दोनों की आंखों में आये आंसू
यहां इसी एक नक्षत्र पर.
[चित्र: पॉल क्ली की पेन्टिंग 'फ़ायर एन्ड डैथ'. तानीकावा की कुछेक कविताएं आप इस ब्लॉग पर पहले भी लगाई जा चुकी हैं. पढ़ना चाहें तो दांई तरफ़ के साइडबार में 'जमा किया गया कबाड़' शीर्षक के नीचे शुन्तारो तानीकावा के नाम पर क्लिक करें. कविता संवाद प्रकाशन (बम्बई/मेरठ) द्वारा प्रकाशित शुन्तारो तानीकावा के अनुवादों की पुस्तक 'एकाकीपन के बीस अरब प्रकाशवर्ष' से साभार. अनुवाद ख़ाकसार के हैं.]
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6 comments:
adbhut painting...kavita bhi...pr painting to bahut hi achhi...
पेंटिंग की अपनी समझ तो ज़ीरो बट्टा ज़ीरो है मगर कविता ओह!!!
kyonki kavi jo kah raha hai us par ghaur karo.
बहुत बढिया कविता भी , पेंटिंग भी।
(मुझे आजतक कोई एब्स्ट्रैक्ट पेंटिंग बकवास नहीं लगी)
यह पुस्तक मैने एक पखवाड़े पहले ही खरीदी है। तानीकावा का अंदाज़ कुछ अलग सा लगा। फिर आपका अनुवाद...बढ़िया चयन और बेहतरीन सम्प्रेषण जिसका श्रेय आपको...
शुक्रिय....
kabadkhane mein hee mil saktee hain durlabh cheejen
bahut badia anuvad...........
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