बहुत-सी बातें और यादें आज उमड़ - घुमड़ रही हैं.
आज ५ सितम्बर है - शिक्षक दिवस। डा० सर्वपल्ली राधाकृष्णन ( १८८८ - १९७५ ) का जन्म दिवस. स्कूलों में आज विद्यार्थी अध्यापक की भूमिका में रहे होंगे और पूरा स्कूल उत्सव में डूबा होगा. परंतु क्या ऐसा सारे स्कूलों में हुआ होगा ?बाबा नागार्जुन की 'दुखहरन मास्टर' और 'प्रेत का बयान' जैसी कविताओं वाले स्कूलों में भी क्या उत्सव मनाया गया होगा ? महादेवी वर्मा को 'गुरू साहब' का संबोधन देने वाले 'घीसा' के गांव के स्कूल में आज का दिन कैसा गुजरा होगा? और तो और मेरी प्रिय पुस्तक 'टु सर विद लव' ( ई. आर. ब्रेथवट ) के स्कूल और अध्यापकों की याद के साथ मैं अपने उन तमाम अध्यापकों को याद कर रहा हूं जिनकी वजह से से ही ये 'चार लाइनां' लिखने के काबिल खुद को पता हूं. शिक्षक की भूमिका आदि -इत्यादि के बारे में बहुत कुछ लिखा गया है और लिखा जाता रहेगा. किसी भी तरह एकेडेमिक विमर्श से दूर आज सुबह से ही नितिन बोस द्वारा निर्देशित फ़िल्म 'गंगा जमुना' का एक गीत याद रहा है जिसे हेमंत कुमार और साथियों ने गाया है. इस गीत के साथ शिक्षक दिवस क्या संगति है, मुझे ठीक-ठीक पता नहीं लेकिन किशोरावस्था में देखी इस फ़िल्म के शिक्षक और विद्यालय की एक अमिट छवि मेरे मन की स्लेट पर अब तक लिखी हुई है. तो सुनते हैं बेहद लोकप्रिय और अनगिनत बार सुना गया यह गीत - 'इंसाफ़ की डगर पे बच्चों दिखाओ चल के.... और अपने -अपने शिक्षकों को याद करें ...
3 comments:
शिक्षक दिवस पर समस्त गुरुजनों का हार्दिक अभिनन्दन एवं नमन.
शिक्षक दिवस पर 'टु सर विद लव' की अच्छी याद दिलाई आपने!
शिक्षक दिवस पर समस्त गुरुजनों का हार्दिक अभिनन्दन
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