Wednesday, September 3, 2008

गणेश उत्सव : दो सांगीतिक प्रस्तुतियां



कल तीज थी - हरतालिका तीज.पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के भोजपुरी भाषी इलाके की स्त्रियों का यह खास त्योहार होता है-निर्जला व्रत. और आज है गणेश चतुर्थी. अनंत चतुर्दशी तक अहर्निश गणेश उत्सव चलता रहेगा और तमाम लोग इसे अपने-अपने तरीके से मनाते रहेंगे.महाराष्ट्र में इसकी गजब धूम होती है. अपन को आज सुबह से कई कवितायें और गीत याद आ रहे हैं.क्या करें ,त्योहार मनाने का यह अपना तरीका, अपना पूजापाठ है. आइये सुनते हैं दो सांगीतिक प्रस्तुतियां. पहली रचना तुलसीदास की जग प्रसिद्ध 'गाइये गणपति जगवंदन' है जिसे स्वर दिया है अहमद हुसैन - मोहम्मद हुसैन ने और दूसरी प्रस्तुति एक पारंपरिक विवाह गीत है जिसे शुभा मुदगल ने गाया है. तो आइये सुनें-

गाइये गणपति जगवंदन / अहमद हुसैन मोहम्‍मद हुसैन



नाचत हैं गणपति / शुभा मुदगल



( चित्र - जामिनी राय )

7 comments:

Udan Tashtari said...

५ दिन की लास वेगस और ग्रेन्ड केनियन की यात्रा के बाद आज ब्लॉगजगत में लौटा हूँ. मन प्रफुल्लित है और आपको पढ़ना सुखद. कल से नियमिल लेखन पठन का प्रयास करुँगा. सादर अभिवादन.

सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी said...

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभो।
निर्विघ्नं कुरुमें देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥

गनपति के भजन से सुबह सुवासित हो गयी... साधुवाद।

ravindra vyas said...

भाई सिद्धेश्वर, कमाल की है यह गणेश वंदना। मैं इसे कई बार सुन चुका हूं। बहुत सुरीली प्रस्तुति। बधाई।

शिरीष कुमार मौर्य said...

जवाहिर चा आपका अपना अंदाज़ है समय को भांपने और पोस्ट लगाने का! ढेर सारी पढ़ने वाली चीज़ों और दुखद सूचनाओं के बाद ये संगीत सुनना सुखद है !

किरीट मन्दरियाल said...

सही कहा शिरीष जी ने !

किरीट मन्दरियाल said...

लेकिन पोस्ट तो सिद्धेश्वर जी की है, शिरीष जी ने जवाहिर चा किसे कहा?

Vineeta Yashsavi said...

वाह!