Sunday, October 5, 2008
पं.भीमसेन जोशी की आवाज़ में सुनिये ये मादक ठुमरी.
बात को अलग अंदाज़ में कहने का जो हुनर पं. भीमसेन जोशी को मिला है वह समकालीन भारतीय संगीत परिदृष्य पर कम ही लोगों के पास है. पहाड़ी आवाज़ को मुलायम बना कर भीमसेन जी सुना रहे हैं ये ठुमरी. किराना घराने के इस महान स्वर-साधक ने अपने तप से भारतीय शास्त्रीय संगीत को अनूठी ऊँचाइयाँ दी हैं.
पं.विनायकराव पटवर्धन ने युवा भीमसेन को धारवाड़ ज़िले में हुए एक कार्यक्रम में सुना और मशवरा दिया कि वे ग्वालियर जाएँ वहाँ उन्हें सीखने का अच्छा मौक़ा मिलेगा. भीमसेन जी धारवाड़ से तक़रीबन डेढ़ महीने का सफ़र पूरा कर अनजान शहर ग्वालियर पहुँचे जहाँ उन्होने सरोदनवाज़ उस्ताद हाफ़िज़ अली ख़ाँ साहब (उस्ताद अमजद अली ख़ाँ के वालिद और उस्ताद) के यहाँ डेरा डाला.यहाँ से भीमसेन जी ने जलंधर का रूख़ किया.किसी के घर में रहे,बर्तन माँजे,सफ़्राई की और किसी तरह गुज़ारा किया. जिसके यहाँ वे काम करते थे वे उन्हें जोशी कह कर बुलाते थे. कई वर्षों बाद पुणे में वही सज्जन स्थापित हो चुके पं.भीमसेन जोशी को नज़र आए. भीमसेनजी ने उनसे कहा मैं वही आपके घर नौकरी करने वाला जोशी हूँ.
पं.भीमसेन जोशी यानी संघर्ष की एक रोमांचाकरी दास्तान.लेकिन जुझारू क़िस्म के विलक्षण इंसान. सालों ख़ुद ड्राइव करके पूरे देश में घूमते रहे.सुर को सिलबट्टे पर पीस कर रख देने वाले पं.भीमसेन जोशी कबाड़ख़ाना पर नमूदार हैं आज .
ये पण्डितजी का ही जादू है कि धारदार गायन करने वाला यह बेजोड़ कलाकार जब ठुमरी जैसी मासूम चीज़ गा रहा हो तब भी मामला अदभुत ही रहता है.
..पंण्डित जी क्या कहिये आपका गाना सुनकर.....बहुत वाचाल होने वाले हम वाह ! के अलावा कोई तीसरा शब्द कहाँ जानते हैं ?
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9 comments:
रस में डूब गये ..
संजय भाई आप तो खजाना हैं वाकई....क्या चीज़ लाये हैं चुनकर....कभी हमें भी दिया करे ऐसे मोती
सच में ... मादक मादक ही है ..... अलग ही बात है पंडित जी की.
aap bhi kamal ke sure pakadhte he
indore ke jo thahre
bahut karnpriya
u r one of the dhakan of indore sir
keep going
makrad-bhagwat.blogspot.com
बहुत कमाल गायकी पेश की है पंडिज्जी ने. और संजय भाई आपकी दी हुई जानकारी सदा की तरह ज्ञानवर्धक और गम्भीर.
धन्यवाद साहब.
वाह कहने के अलावा यह नाचीज और क्या कह सकता है जनाब ?
वाह!!!!!!
वाह!! कमाल की प्रस्तुति!!
मज़ा आ गया
जोशी जी की शानदार आवाज़ में ठुमरी सुनवाने का शुक्रिया।
is shandaar koshish ke liye badhahiya.... anako dhanyvad !
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