Friday, November 7, 2008

जागो रे जागो रे जागो रे !

आज से कई साल पहले नैनीताल की प्रतिष्ठित नाट्यसंस्था 'युगमंच' और 'जसम' ने मिलकर एक कैसेट निकाली थी -'कदम मिला के चल' . इसका संगीत संयोजन विजय कॄष्ण तथा जगमोहन 'मंटू' ने किया था.यह कैसेट उत्तराखंड आंदोलन के दौरान गूँजने वाले जनगीतों को स्वरबद्ध कर तैयार की गई थी. आशुतोष और चन्द्रभूषण के लिखे परिचय आलेख को स्वर दिया था इरफ़ान ने . यह कैसेट उस दौर के हमारे कई साथियों के पास जरूर होगी.आज इस टीम से जुड़े कई साथी ब्लाग की दुनिया में सार्थक हस्तक्षेप कर रहे हैं. उन सभी की स्मॄति के कबाड़खाने को कुरेदने के वास्ते आज इसी अलबम से एक समूहगान प्रस्तुत है - 'जागो रे'.......

जागो रे जागो रे जागो रे !
जागो रे भइया जागो रे , जागो रे भइया जागो रे !
ओ भइया रात गई , जागो रे भइया भोर भई
जागो रे जागो रे जागो रे !

पूरब में उगती है किरनो की खेती
सोते हुओं को जो देती चुनौती
सोया सो खोया रे जागा सो पाया रे
जीता वही दांव जिसने लगाया रे !
ओ भइया रात गई , जागो रे भइया भोर भई
जागो रे जागो रे जागो रे !

जीवन की गंगा में लहरें मचलतीं
मन में उम्मीदों की झंकायें चलतीं
पाया है जिसने तन मन गंवाया रे
मेहनत से जिसने सोना उगाया रे !
ओ भैया रात गई , जागो रे भैया भोर भई
जागो रे जागो रे जागो रे !




शब्द - अज्ञात
संगीत रचना - दिनेश कॄष्ण
कोरस - जगमोहन 'मंटू' , मॄदुला , संजय भारती , डिम्पल ,मंजूर , सुषमा ,मोहन , रीता , गोपाल , शैलजा , तनवीर, माधव , सुभाष , अनिल , सुनीता , विभास , दिनेश , त्रिभुवन एवं ज़हूर.
संगीत सहयोग - संतोष (तबला) , रवि (नाल) , प्रमोद (गिटार) ,अजय (तबला)

4 comments:

दिनेशराय द्विवेदी said...

बहुत ही सुंदर और उत्साहवर्धक गान!

सुशील छौक्कर said...

बहुत ही प्यारा और अच्छा गाना सुनाने के लिए शुक्रिया।

पारुल "पुखराज" said...

bahut sundar geet hai..nirali cheez sunvaney ka shukriyaa

दीपक said...

बहुत सुंदर गाना है यह सुनकर कई बार सुनने का मन करता है !!