Thursday, February 12, 2009

मिसाल के तौर पर गिलास शराब से बात करने के लिये


अर्जेन्टीना के महाकवि रॉबेर्तो हुआर्रोज़ की किताब 'वर्टिकल पोइट्री' से प्रस्तुत हैं दो टुकड़े:

१.

हर चीज़ अपने लिये हाथ बनाती है।
मिसाल के तौर पर पेड़
हवा को बाँटने के लिये।

हर चीज़ अपने लिये पाँव बनाती है
मिसाल के तौर पर घर
किसी का पीछा करने के लिये।

हर चीज़ अपने लिये आँखें बनाती है
मिसाल के तौर पर तीर
निशाने पर लगने के लिये।

हर चीज़ अपने लिये जीभ बनाती है
मिसाल के तौर पर गिलास
शराब से बात करने के लिये।

हर चीज़ अपने लिये एक कहानी बनाती है
मिसाल के तौर पर पानी
दूर तक साफ़ बहने के लिये।

२.

पानी का एक गिलास
एक दोपहर के भीतर
इकट्ठा करता है दूसरी दोपहर को,
समय का एक अलग जमावड़ा।
और एक क्षण को समझ का दरवाज़ा खुलता है
वह दरवाजा जिसे बन्द करने के लिये
धक्का नहीं देना पड़ता।

और मैं पीता हूँ पानी के
उस गिलास को दो बार।

5 comments:

अजेय said...

हर चीज़ अपने लिये एक कहानी बनाती है
मिसाल के तौर पर पानी
दूर तक साफ़ बहने के लिये।

sunder panktiyan

सुशील छौक्कर said...

सुखद लगा पढ्कर।

संगीता पुरी said...

सही है....अच्‍छी है।

विष्णु बैरागी said...

पहली कविता निस्‍सन्‍देह अनूठी है। चौंकाती है। बिम्‍ब नए नहीं हैं किन्‍तु उनका ऐसा उपयोग तो पहली ही बार देखा।
संग्रगहणीय और उध्‍दृतर करने योग्‍य।
यह कविता जम्‍बे समय तक मन-‍मस्तिष्‍क से उतरेगी नहीं।
इस कविता क लिए धन्‍यवाद।

निर्मला कपिला said...

bahut sunder abhivyakti hai naye andaaj me badhai