आज हमारे शीर्ष कबाड़ी उदय प्रकाश जी ने अपने ब्लॉग पर रूसी कवि आंद्रे वोज़्नेसेंस्की की एक कविता पोस्ट की है. सुबह उसे पढ़ने के बाद से मैं एक कविता को याद करने की कोशिश कर रहा था. कविता के बारे में बहुत ठोस कुछ याद नहीं आ रहा था. कागज़-पत्तर-कबाड़ इत्यादि के ढेरों को ख़ूब उलटने-पलटने के बाद वह अनुवाद मुझे हासिल हुआ. यह इत्तेफ़ाक़ है कि यह कविता भी राफ़ाल वोयात्चेक की ही है जिस पर कबाड़ख़ाने में पिछली पोस्ट लगी है.
फ़िलहाल यह रही कविता, जिसे मैं बहुत सम्मान के साथ अपने प्रिय कवि-कहानीकार-मनुष्य उदय प्रकाश जी के लिए ख़ास तौर पर पेश कर रहा हूं.
कवि के बारे में एक गीत
क्योंकि उसे हमेशा पीटा जाता है किसी बच्चे की तरह -
इस कला के बारे में कुछ न जानता हुआ कवि,
अपनी कविताओं की मुठ्ठी भींच लेता है और पीटना शुरू करता है.
वह एक स्त्री को पीटता है क्योंकि वह ख़ुद को साफ़ रखती है
अपने मुंहांसों को बढ़ने नहीं देती और मेकअप करती है.
वह अपनी पत्नी को पीटता है क्योंकि वह एक स्त्री है.
इसी वजह से वह अपनी मां को पीटता है.
वह अपने पिता को पीटता है क्योंकि वे उसकी मां के साथ हैं.
वह जल्दबाज़ उपमाओं के साथ थूकता है अधिकारियों पर.
अपने छन्दों से वह तोड़ डालता है खिड़कियां, और तनाव
की एक लात से वह गर्भ के भीतर एक भ्रूण के सिर को
घायल कर देता है, ताकि मां अपने बच्चे को
उसकी उस मूर्खता से न पहचान पाए जिसे लेकर वह पैदा होगा.
कवि करता है और भी बहुत सारे काम
मगर तब वह कवि नहीं होता.
-राफ़ाल वोयात्चेक
5 comments:
bahut khoob. sachmuch kavi kavi hi to nahin hota har vaqt.
sunadar kavita padhwane ke liye aabhar!
मैं कृतज्ञ हूँ उन कवियों के लिए जो कवियों के बारे में भी कुछ कह गए. marvelous.
Udveg aur trasadi, sach aur duniyavi, virodabhashi magar lay-taal ke saath, aise hi toh hote hain kavi. Aur bahut khoob bayaan karti hai yeh kavita kavi hone ko. Waah!
shamsher kahte the ki koi bhi kavi kitna hi kroor kyon na ho rachna ke kshanon men manviya hota hai...yah kavi aur manushya ke beech ke aniwary antarvirodh ko darshanewali kavita hai...
kavi....sacmuch bahut sare kam karte hain.
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