Wednesday, April 1, 2009

या करीब आ के ये अमरित मुझे पी लेने दे

पिछली पोस्ट को जारी रखते हुए पेश है एक और कविता का अनुवाद. मूल रचना अंग्रेज़ी के बड़े कवि विलियम कूपर की है. अनुवाद किया है मुरादाबाद में रहने वाले गणित के अवकाशप्राप्त प्रोफ़ेसर जनाब रोलैन्ड लॉरेन्स ने. अनुवाद उर्दू में है और उनकी पुस्तक 'गाहे-गाहे' का हिस्सा है, जिसे उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी का पुरस्कार प्राप्त हुआ था. हिन्दी लिप्यान्तरण हमारे बरेली निवासी कबाड़ी जनाब योगेश्वर सुयाल के सौजन्य से.



और ख़लिश बढ़ने दे

वो तेरी जुल्फे-परीशां वो निगाहे-मग़मूम
वो अलामात गरांबारिए-खातिर जिनको
मेरी महबूब तेरी कोशिशे-नाकाम कभी
यूं पसेपरद-ए-जुल्मात न रख पाएगी

जबकि हसरत को जनम देते हों नाज़ुक जज्बे
तू भी दो-चार घड़ी अश्क रवां रहने दे

नीम शफ़्फ़ाक वो मोती वो लरजते आंसू
जिनसे इक सिलसिल-ए-रब्त-ए-मुहब्बत है मुझे
इससे पहले कि मिले उनको जमीं की आगोश
या करीब आ के ये अमरित मुझे पी लेने दे

फासले लाख बढ़ें पर ये वफा के अंदाज
है इन्हीं पर मिरी उम्मीद की दुनिया कायम
इतनी पुरसोज़ है जब अपनी जुदाई की घड़ी
हर तरफ कैफ़ लिए अपना मिलन आएगा

किस कदर सख़्त है पत्थर की गरां सिल की तरह
दिल कि जो नाजुकिए सोज से मानूस नहीं
जिसमें बर्फ़ाब फिजाओं का फसूं तारी है
जिसमें इक रंजिशे-बेजा के सिवा कुछ भी नहीं

तू मगर दर्द को उलफत का सहारा दे दे
और इजहार जब अहसास का दामन थामे
तू भी हर सूजशे पिनहां को फरोजां करदे
हां अभी और अभी और खलिश बढ़ने दे.

-----------------------------------------------------
यह रही मूल अंग्रेज़ी कविता:

ON HER ENDEAVOURING TO CONCEAL
HER GRIEF AT PARTING


Ah! wherefore should my weeping maid suppress
Those gentle signs of undissembled woe?
When from soft love proceeds the deep distress.
Ah! why forbid the willing tears to flow?

Since for my sake each dear translucent drop
Breaks forth, best witness of thy truth sincere,
My lips should drink the precious mixture up,
And 'ere it falls, receive the trembling tear.

Trust me, these symptoms of thy faithful heart,
In absence, shall my dearest hopes sustain,
Delia! since such thy sorrow that we part,
Such when we meet thy joy shall be again.

Hard is that heart and unsubdued by love
That feels no p ain, nor ever heaves a sigh,
Such hearts the fiercest passions only prove,
Or freeze in cold insensibility.

Oh! then indulge thy grief, nor fear to tell
The gentle source from whence thy sorrows flow!
Nor think it weakens when we love to feel,
Nor think it weakness what we feel to show.


[पेन्टिंग: फ़्रान्सीसी मूल के ब्रिटिश चित्रकार फ़िलिप हर्मोजीन्स काल्डेरॉन (1833-1898) की पेन्टिंग 'रूथ एंड नेओमी']

कबाड़ख़ाने में जल्दी ही आपको कीट्स, शैली, बायरन और विलियम वर्ड्सवर्थ के दुर्लभ अनुवाद भी देखने को मिलेंगे.

7 comments:

अमिताभ मीत said...

ग़ज़ब अशोक भाई ग़ज़ब. ये तो कमाल है. सिलसिला जारी रहे ......

मुनीश ( munish ) said...

Nice poem n a nice painting! am sure we'd enjoy ur translations much more 'cos here the use of chaste urdu is slightly demanding on part of readers . This painting reminds me of an immortal kiss-scene from the all time great classic Ben Hur.

अजित वडनेरकर said...

मुझे तो अनुवाद मूल पर भारी पड़ता सा लगा...
शुक्रिया पांडे साहब...

विजयशंकर चतुर्वेदी said...

अनुपम!

शिरीष कुमार मौर्य said...

इन अनुवादों की उर्दू पर फिदा हो गया मैं ! ऊपर से वही पद्यात्मकता ! सुयाल जी और अनुवादक महोदय तक हम सबकी शुक्रिया पहुँचाई जाए बड़े ज़ोरों से ! उनकी कबाड़ी प्रतिभा भी ग़ज़ब की निकली !

Science Bloggers Association said...

बहुत खूब, टाइटिल ही अमृत के समान है।
-----------
तस्‍लीम
साइंस ब्‍लॉगर्स असोसिएशन

Dr. Chandra Kumar Jain said...

अमृत के सामान ही है
यह प्रस्तुति.
==========
चन्द्रकुमार