Tuesday, May 19, 2009

गैरी लार्सन के कुछ यादगार कार्टून: पहली खेप

जब-जब किताबों से मन उचाट हो जाता है, कुछ करने की इच्छा नहीं होती तो मैं सम्हाल कर छिपा रखी (ताकि कोई उन्हें पार न कर ले जाए) गैरी लार्सन के कार्टूनों की किताबें निकाल लेता हूं. कभी कभी तो रात के तीन-साढ़े तीन बजे होते हैं जब मेरे कमरे में सोया-जागा मेरा पुरातन कुत्ता टफ़ी मुझे ठहाके मारते हंसता देख मेरे मानसिक स्वास्थ्य को लेकर चिन्तित नज़र आने लगता है.

लार्सन के कार्टूनों में प्रयोग होने वाली इमेजेज़ में गायें, डायनासोर, अमीबा, बिल्लियां, मेंढक और न जाने कैसे कैसे पशु और तमाम तरह के वैज्ञानिक, कलाकार, मनोरोगी इत्यादि होते हैं. विश्लेषक लार्सन के ह्यूमर को 'साइंटिफ़िक ह्यूमर' कह कर परिभाषित करने की कोशिश करते हैं.

फ़िलहाल आप मज़े लें. गैरी लार्सन के बारे में कुछ दिलचस्प बातें कल बताऊंगा.















7 comments:

Unknown said...

कबाड़ में खजाना........लाजबाव, बेहतरीन.......

हरिओम तिवारी said...

I love cartoon lovers.Really u do good job.

मुनीश ( munish ) said...

mazedaar cartoonz !

Science Bloggers Association said...

WAH, maza aa gayaa.

-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }

PD said...

Superb.. :)

मुनीश ( munish ) said...

cartoons depicting anthropologists and mountain goat have a streak of black humor . thnx for this visit to toonland .

Ashok Pande said...

Dear Munish Bhai

You are absolutely correct in pointing out the blackness of Larson's humour.

Some of his cartoons are so macabre that the conservatives and the hypocrites have of and on, even demanded ban on his work. But its the inherent intellegince and playfulness of this genius called Larson, that makes him stand out among thousands of others practising the same art.

Thanks anyway.