Thursday, June 4, 2009

बच्चे या कूड़ा!


दिल्ली के गाज़ीपुर गारबेज डंप में दिन बिताने वाले इन बच्चों का कूड़े से अलग कोई वज़ूद नहीं!

(फोटो: रायटर)


(तस्वीर पर क्लिक करें)

8 comments:

ghughutibasuti said...

लज्जाजनक बात है।
जिन्हें नाज है हिन्द पर वे कहाँ हैं!
घुघूती बासूती

Dipti said...

its very shameful

Ashok Pande said...

उफ़, रोशनी का यह कैसा सुलूक है.

सन्न कर देने वाली फ़ोटो.

दीपा पाठक said...

.....क्या कहा जाए....सचमुच कोई शब्द नहीं हैं अपने बच्चों को इस हाल में देखने की शर्म, कूङे में पलते उनके बचपन के दुख और उनके लिए कुछ न कर पाने के विवशता को जाहिर करने के लिए।

अजय कुमार झा said...

ये राजधानी का हाल है.....और एक हम हैं जो चाँद पर पहुँचने का जश्न मनाते हैं....कौन सी सरकार, कौन सा दल, कौन सा नेता, कौन सा धर्म ,,कौन है जो इनकी किस्मत को बदल सकता है.....प्रश्न बड़ा है बिलकुल इसी कूड़े के ढेर की तरह बड़ा ....

हरिओम तिवारी said...

मार्मिक तस्बीर ,जिसे हम अक्सर देख कर अनदेखा कर देते हैं

जयंत - समर शेष said...

Ajay Ji ne sach kahaa...
"Shining dilli"????

Jay Ho!!!!

Kabhi samay mile to meri isi vishay par ek rachanaa padhen..
http://jayantchaudhary.blogspot.com/2009/03/blog-post_30.html

~Jayant

Ek ziddi dhun said...

आशुतोष भाई, कुछ सालों पहले अखबारों में गरीबी और बेबसी की रंगीन तस्वीरें छपती थीं. फिर ये तस्वीरें बेन कर दी गई कि कुछ भी ऐसा न दिखाऊ जो फील गुड न हो. देश विकास कर रहा है, अमीरों में हमारे कई लोग शुमार हैं, अमेरिका से हमारी दोस्ती है - फिर ऐसी तस्वीरें क्यूँ दिखाते हो? चलो इसकी व्याख्या इस तरह करते हैं कि जिन्दगी हर हाल में मुस्काती है, कूडे में भी....