.....क्या कहा जाए....सचमुच कोई शब्द नहीं हैं अपने बच्चों को इस हाल में देखने की शर्म, कूङे में पलते उनके बचपन के दुख और उनके लिए कुछ न कर पाने के विवशता को जाहिर करने के लिए।
ये राजधानी का हाल है.....और एक हम हैं जो चाँद पर पहुँचने का जश्न मनाते हैं....कौन सी सरकार, कौन सा दल, कौन सा नेता, कौन सा धर्म ,,कौन है जो इनकी किस्मत को बदल सकता है.....प्रश्न बड़ा है बिलकुल इसी कूड़े के ढेर की तरह बड़ा ....
आशुतोष भाई, कुछ सालों पहले अखबारों में गरीबी और बेबसी की रंगीन तस्वीरें छपती थीं. फिर ये तस्वीरें बेन कर दी गई कि कुछ भी ऐसा न दिखाऊ जो फील गुड न हो. देश विकास कर रहा है, अमीरों में हमारे कई लोग शुमार हैं, अमेरिका से हमारी दोस्ती है - फिर ऐसी तस्वीरें क्यूँ दिखाते हो? चलो इसकी व्याख्या इस तरह करते हैं कि जिन्दगी हर हाल में मुस्काती है, कूडे में भी....
8 comments:
लज्जाजनक बात है।
जिन्हें नाज है हिन्द पर वे कहाँ हैं!
घुघूती बासूती
its very shameful
उफ़, रोशनी का यह कैसा सुलूक है.
सन्न कर देने वाली फ़ोटो.
.....क्या कहा जाए....सचमुच कोई शब्द नहीं हैं अपने बच्चों को इस हाल में देखने की शर्म, कूङे में पलते उनके बचपन के दुख और उनके लिए कुछ न कर पाने के विवशता को जाहिर करने के लिए।
ये राजधानी का हाल है.....और एक हम हैं जो चाँद पर पहुँचने का जश्न मनाते हैं....कौन सी सरकार, कौन सा दल, कौन सा नेता, कौन सा धर्म ,,कौन है जो इनकी किस्मत को बदल सकता है.....प्रश्न बड़ा है बिलकुल इसी कूड़े के ढेर की तरह बड़ा ....
मार्मिक तस्बीर ,जिसे हम अक्सर देख कर अनदेखा कर देते हैं
Ajay Ji ne sach kahaa...
"Shining dilli"????
Jay Ho!!!!
Kabhi samay mile to meri isi vishay par ek rachanaa padhen..
http://jayantchaudhary.blogspot.com/2009/03/blog-post_30.html
~Jayant
आशुतोष भाई, कुछ सालों पहले अखबारों में गरीबी और बेबसी की रंगीन तस्वीरें छपती थीं. फिर ये तस्वीरें बेन कर दी गई कि कुछ भी ऐसा न दिखाऊ जो फील गुड न हो. देश विकास कर रहा है, अमीरों में हमारे कई लोग शुमार हैं, अमेरिका से हमारी दोस्ती है - फिर ऐसी तस्वीरें क्यूँ दिखाते हो? चलो इसकी व्याख्या इस तरह करते हैं कि जिन्दगी हर हाल में मुस्काती है, कूडे में भी....
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