Wednesday, September 30, 2009

सो रहा है सदियों से

मैथिली भाषा में पहली कविता संग्रह 'हम पुछैत छी' मतलब 'मैं पूछता हूँ' इन दिनों प्रेस में है। संग्रह में एक कविता जिसका हिन्दी अनुवाद है 'सो रहा है सदियों से' है, जो हमारे जीवन और सामाजिक परिवेश को सामने लाने की कोशिश करती है। समय का तकाजा है कि हर तरफ़ नींद में ऊँघे लोग अधिक दीखते हैं, मुट्ठी भर लोग कामकरते दीखते हैं, झूठ-फरेब की दुनिया से निकल पाना इतना आसान नहीं होता. आख़िर कहीं न कहीं रूक कर सामाजिक पड़ताल तो करनी होगी अन्यथा बेवकूफ ज्ञानी कभी भी किसी की बात नहीं सुनेंगे...विनीत उत्पल

सो रहा है सदियों से

वह सो रहा है सदियों से
ऐसा नहीं कि वह काफी थका हुआ है
ऐसा भी नहीं कि वह रात भर जगा है
ऐसा भी नहीं कि वह चिंता में डूबा है
उसके घर या दफ्तर में कलह भी नहीं हुआ है

वह सो रहा है सदियों से
रातभर करवट बदलने के बाद
राक्षसी भोजन करने से देह में शिथिलता आने पर
धन के लिए झूठ-फरेब करने के बाद
आधी दुनिया पर छींटाकशी करने के बाद

वह सो रहा है सदियों से
क्योंकि उनके मामले में तमाम बातें झूठी हैं
सच को झूठ और झूठ को सच बनाकर पेश करना है आसान
क्योंकि उसे नींद आती है ‘सच का सामने’ करने के दौरान
और उसे नींद आती है कडुवा सच सुनने पर

वह सो रहा है सदियों से
क्योंकि वह पढ़ नहीं पाया
क्योंकि वह ऐसा मुरीद है कि बस ‘जी हां, जी हां’ करने के सिवाय
और तलुवे चाटने से हटकर नहीं कर सकता कोई सवाल
क्योंकि सुन नहीं सकता वह, जो वह है
आस्था पर विश्वास कर सकता लेकिन बहस नहीं

तो समय आ गया है
कुंभकर्णी नींद में सोने वालों को जगाने का
तथ्य व तर्क की कसौटी पर कसने का
अनपढ़ को पढ़ाने का
क्योंकि बेवकूफ ज्ञानी कभी किसी की कुछ नहीं सुन सकते।

6 comments:

Dr. Shreesh K. Pathak said...

ओह जबरदस्त सोच की जबरदस्त रचना....

वाणी गीत said...

तो समय आ गया है
कुंभकर्णी नींद में सोने वालों को जगाने का
तथ्य व तर्क की कसौटी पर कसने का
अनपढ़ को पढ़ाने का
क्योंकि बेवकूफ ज्ञानी कभी किसी की कुछ नहीं सुन सकते।
संकल्प पूरा हो ...बहुत शुभकामनायें ...!!

S. Bijen Singh said...

लेखक को साधुवाद. आपकी कविता हकीकत को उजागर करता है. न तो वह काफी थका हुआ है, न वह रात भर जगा है और न ही चिंता में डूबा है मगर वह सो रहा है सदियों से. इसलिए कि वह जागना ही नहीं चाहता है. वह सोना चाहता है. चाहे तो वह कुंभकर्णी नींद से जाग सकता है. मगर जागने की इच्‍छा ही नहीं तो क्‍या कर सकता है. स्‍पष्‍ट है कितनों भी जगाओ जागेगा ही नहीं क्‍योंकि वह बेवकूफ है.

Chandan Kumar Jha said...

न जाने कब अपनी नींद तोड़ेगे ये सोने वाले ।

प्रीतीश बारहठ said...

कुम्भकरण तो भूख लगने पर ही जागता है।
"बेवकूफ ज्ञानी" कोई नया मुहावरा है क्या विनीत जी ?

संजय भास्‍कर said...

वह सो रहा है सदियों से
ऐसा नहीं कि वह काफी थका हुआ है
sunder