Monday, February 8, 2010

पिया संग खेलूं



उस्ताद ग़ुलाम मुस्तफ़ा ख़ान की आवाज़ में सुनिये राग बसन्त:

3 comments:

पारुल "पुखराज" said...

क्या बात है …बेहतरीन

Ek ziddi dhun said...

akele pitare men hajar ran-g hain.

डिम्पल मल्होत्रा said...

कबाड़ खाने में काफी काम के चीज़े है.