Friday, April 30, 2010

गुलबदन, गुलपैराहन, ग़ुंचादहन याद आ गया



नज़ीर बनारसी साहब की इस शानदार ग़ज़ल को स्वर दिया है अहमद हुसैन और मोहम्मद हुसैन ने

5 comments:

rishi upadhyay said...

वाह!!! अशोक भाई...शुक्रिया, कबाड़खाना पर इस ज़ालिम जोड़ी की जन्नती जुगलबंदी जोड़ने के लिए...

पारुल "पुखराज" said...

शानदार !

अमिताभ मीत said...

सही है मालिक !!

मसरूफ़ियत में बहुत दिनों बाद सुना इन कमाल फ़नकारों को ...

DHARMENDRA LAKHWANI said...

Inke murid to hum bachpan se he.. aapne purane dino ki yaad tazaa kar di.

Dhanyawad.

Pratibha Katiyar said...

क्या बात है...