Saturday, May 15, 2010

ब्लॉगिंग करने वाले मुर्गे से मिलिये

कनाडाई मूल के कार्टूनिस्ट डगलस सैवेज एक कॉमिक वैबसाइट चलाते हैं सैवेज चिकन्स यानी जंगली मुर्गियां. पीले कागज़ पर बनाए जाने वाले इन सिंगल पैनल कार्टूनों का ह्यूमर समकालीन और शानदार है. डगलस शनिवार और इतवार को छोड़ सप्ताह के हर रोज़ पिछले तीन से ज़्यादा सालों से एक एक कार्टून प्रस्तुत करते हैं.

कॉमिक में मुर्गे-मुर्गी के अलावा दो दिलचस्प चरित्र अक्सर मौजूद होते हैं - टिमी नाम का एक स्वादहीन टोफ़ू का टुकड़ा जो अक्सर अश्लील विचारों से ग्रस्त रहता है, दूसरा आत्मरति का शिकार PROD3000 नाम का एक टिपिकल बॉस.

सैवेज चिकन्स को अच्छी खासी ख्याति मिली है. आज आप के लिए इस वैबकॉमिक सीरीज़ से ब्लॉगिंग और कम्प्यूटर के बारे में चार कार्टून.








10 comments:

Udan Tashtari said...

हा हा!! मस्त!!

आभार इसे यहाँ प्रस्तुत करने का.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

मुर्गे से मिलकर मन प्रसन्न हो गया!

मुनीश ( munish ) said...

एक गीत है........पड़ोसिन अपनी मुरगी को रखना संभाल मेरा मुरगा हुआ है दीवाना ! बहुत नेक काज किया है अशोक भाई ये कार्टून चेप के .

Ashok Kumar pandey said...

मस्त पोस्ट…

अजेय said...

अरे, * राहड़ा * लगाओ इन दो को तो.....
मिल के खाएंगे.

Anil Pusadkar said...

मुर्गा बड़ा मस्त है!

Arvind Mishra said...

ओह भूल से गुर्गे पढ़कर आ गया ..पर आने पर मुर्गे की करामात दिखी तो दिल बाग़ बाग़ हो गया -कूकडू कूँ बोलने का मन हो रहा है ....कूकडू कूँ...कूकडू कूँ.......

सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी said...

ऊपर से दूसरा बहुत मजेदार है। बिल्कुल पटक के धर दिया है। ब्लॉगिंग सभी भाषाओं में ऐसी ही है क्या?

प्रस्तुति का आभार।

डॉ .अनुराग said...

झकास !!

Syed Ali Hamid said...

The first two are good. Nice post.