Sunday, August 8, 2010

एक परम कबाड़ी पोस्ट: निराश न हों

तैय्यार रहो हे ज्ञानी पाठक. हिन्दी की महान साहित्यिक परम्परा के बारे में अपनी किसी पिछली पोस्ट में मैं कह चुका. कल या परसों या जब भी उस पुलिस लेखक का कोई बयान छपे तो कृपा करके उसे हुज्जत न दें क्योंकि वह सदमा देने वाला होयेगा!

ससुर हमसे काफ़्का के बारे में बात थोड़े ही कर सकेगा! या सिंगल मॉल्ट व्हिस्की के! होवेगा बहुज़्ज़ालिम सराबी मग्ग़र हियां से चैलेन्ज!

एक गाली देने की इच्छा हो रही है पर दूंगा नहीं. समझ न जाए कहीं छिन्न नाल पैं ... !

अब जा के घुसे रहो अपने घूरे में, हे पुरुषोत्तम कलमाड़शिरोमणि!

आलोक धन्वा का नाम ज़बरदस्ती उस लिस्ट में घुसाया गया है. ये मैं जानता हूं. बाक़ी आप परम ज्ञानी!

आपका

ज़बरिया

PS: खाली बोतल का रैट ३ रु कर दिया ऐत्थै - मानसून आफ़र. और कर्फ़ू का रैट जाननै कै बास्तै .... ओये सर्किट्ट!

सुरेश कलमाड़ी इस वक्तव्य पर बयान अक्टूबर के आखिर में देगा ... पैं ... !