Tuesday, August 31, 2010

रोहित उमराव के कैमरे से सारस -२

आख़िर ढूंढ़ ही लिया गया ठिकाना

4 comments:

विवेक रस्तोगी said...

वाह....

abcd said...

2 much.

abcd said...

ईश्वर की रन्गो की जादुगरी देखो मित्र,
सुराहीदार गर्दन पुरी मरून हो सक्ती थी./
गर्दन और मुह का मरून रन्ग चोन्च पर भी आ सक्ता था/
पन्ख पुरे काले हो सक्ते थे य पुरे सफ़ेद/
पैरो पर सिर्फ़ शरीर ही balance नही हैशरीर की, symmetry भी बेलेन्स हो रही /
सफ़ेद भी पुर्न धवल नही !
काला रन्ग भी पुर्न श्याम नही!

और पन्ख फ़ैला कर खडे होने की शान तो देखो,हो किसी राजा से कम तो बोलो/

देख देख के जी नही भरा रहा .
शान्दार/

नीरज गोस्वामी said...

Waah...