Sunday, January 23, 2011

कदम कदम बढ़ाये जा

ब्लॉगजगत पर मैं काफी लेट आया हूँ , इसलिए कॉपीराईट पर एक पुरानी बहस आज जाकर पढ़ी | बहरहाल, इस कविता के रचनाकार का नाम मुझे नहीं पता है , जो भी हो वे मुझे अदालत में नहीं ले जाएँगे , ऐसा मैं सोचता हूँ | ये मेरे देश की कविता है | आज़ाद हिंद फौज का प्रयाण गीत, 'दिल्ली चलो' आह्वान के साथ 'तुम मुझे खून दो , मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा' जैसे नारों से देश के युवाओं के प्रेरणाश्रोत बने नेताजी सुभाष चन्द्र बोस | उन्हें प्रणाम |



कदम कदम बढ़ाये जा, खुशी के गीत गाये जा
ये जिन्दगी है क़ौम की, तू क़ौम पे लुटाये जा

शेर-ए-हिन्द आगे बढ़, मरने से फिर कभी ना डर
उड़ाके दुश्मनों का सर, जोशे-वतन बढ़ाये जा
कदम कदम बढ़ाये जा ...

हिम्मत तेरी बढ़ती रहे, खुदा तेरी सुनता रहे
जो सामने तेरे खड़े, तू ख़ाक मे मिलाये जा
कदम कदम बढ़ाये जा ...

चलो दिल्ली पुकार के, क़ौमी निशां सम्भाल के
लाल किले पे गाड़ के, लहराये जा लहराये जा
कदम कदम बढ़ाये जा...

 Kadam Kadam Badhaye Ja .mp3
Found at bee mp3 search engine

11 comments:

Arvind Mishra said...

अरे आज तो नेता जी की याद का दिन है -इस पोस्ट के लिए आभार!
पंक्तियाँ तो जबरदस्त उदबोधन हैं !

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद said...

बचपन में यह गीत रेडियो पर बहुत सुनते थे। शायद किसी फिल्म में भी इसका प्रयोग किया गया था। पुरानी याद ताज़ा हो गई :)

उत्‍तमराव क्षीरसागर said...

जयहिंद...

Ashok Pande said...

नीरज यह गीत कैप्टेन राम सिंह ठाकुर ने कम्पोज़ किया था. इत्तेफ़ाक़ की बात यह है कि उनका जन्म १५ अगस्त १९१४ को हुआ था. वे अप्रैल १५, २००२ को स्वर्गवासी हुए.

उनके बारे में अधिक जानने के लिए इस पर जाएं http://en.wikipedia.org/wiki/Ram_Singh_Thakur

Ashok Pande said...

And yes, he hailed from Uttarakhand. I have had a chance ro see him conduct this and several other great songs live. Thanks for the post.

Neeraj said...

शुक्रिया अशोक भाई ...
मुझे ये पता होना चाहिए था |

अरुण चन्द्र रॉय said...

अभी अपने देश को राजनीतिज्ञों से लेकर साहित्यकारों तक का फोकस बदल गया है.. तभी तो ना ऐसे उद्बोधन आते हैं ना गीत... सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति..

सोमेश सक्सेना said...

नीरज जी रोम खड़े हो गए सुनकर. अशोक जी जानकारी के लिए धन्यवाद.

प्रवीण पाण्डेय said...

जयहिन्द।

मुनीश ( munish ) said...

jai hind!

Alpana Verma said...

इस गीत को स्कूल के दिनों में मैंने भी स्टेज पर बहुत बार गाया है.इस के रचियता जनकवि बंशीधर शुक्ल जी हैं.
[रेफेरेंस के लिए आप इस लिंक पर देख सकते हैं-http://in.jagran.yahoo.com/news/features/general/8_14_4114777.html