गट्टू भाई अभी काहिरा हवाई अड्डे के बाहर मिल गए बैठने के लिए इतने बवाल के बीच पिरामिड बुक कराने आए थे।
न जाने कहां से आ या जा रहे थे वही जाने। वे जो कहते हैं मान लेता हूं क्योंकि वे समान्तर दुनिया के बाशिन्दे हैं जो इस दुनिया से कम असली नहीं है।
मैं उनसे कभी मिला नहीं लेकिन देखते आंखों से पहचान गया। पता ही होगा कि किसी की बात बहुत अचरज भरे ध्यान से सुनी जाती है तो उसकी आंखों में खिंचाव आ जाता है और वे बाहर की तरफ लटक आती हैं। अच्छा! ..हां!!! अब समझे तो हां आंखों से गट्टू भाई को पहचान गया। हमारे पुराणों में आंखे तो सुंदरी को देख के खिंचती हुई घुटनों तक आती पाई गई हैं। बाद में वही सुंदरी विरह में सांस के धक्कों से कई योजन फारवर्ड-बैकवर्ड मूवमेन्ट में दोलायमान पाई जाती है।
दुआ सलाम के बाद गट्टू भाई ने बताया कि उन्हें भारत सरकार सबसे अधिक उपभोक्ताओं को जागरूक करने के वास्ते भारत रत्न देने वाली है। किस खुशी में, तो बोले कि दारू की बोतल को कई साल देखके हैरान होने के वास्ते। आपकी हैरानी से भारत रत्न का क्या लेना देना होगा भाई साब तो बोले, जे ल्लो इस दुनिया में कुछ भी हैरानी से ही पैदा होता है। जे भारत रतन भला किस खेत की मूली हुआ।
अभी हाल के हाल फ्लाइट में पोन्टी चड्ढा और विजय माल्या मिल गे। पोन्टी तो अपने ह्यां का ठैरा। उसे तो मैं पैचान गया क्योंकि वो कमाए चाहे जितना लेकिन गिन नहीं सकता। और मालिया से उनने मिलवा दिया के जे अपने उत्तराखंड के ठाकुर साब हुए, बगैर इनके सपोट के तेरी ब्रेवरी चल नी सकती।
मैंने कई कि दोनों पढ़े लिखे लगते हो सबसे पैले जे बताओ कि एक लीटर में कितनी बूंदे अटा करे हैं। माल्या ने दाढ़ी पे हाथ फेर के कई कि ठाकुर साब, इतना महीन पीसना तो कभी हुआ नीं लेकिन समझ लो कि आजकल एक लीटर में हजार मिलीलीटर का आंकड़ा पूरे बल्ड में चल रहा हैगा। मैने पूछी के आधा लीटर में उनने कई के पान सौ मिलीलीटर। क्वाटर में उनने कई के यही कोई दो सौ पचास मिलीलीटर।
मेरा पारा थरमामीटर ऊपर। तब मैने कई के बौब्लेन्डर के दुस्मनों जे बताओ के फुल में सातसोपचास, अद्धी में तीनसोसाठ और पौव्वे में सिरफ एकसोअस्सी देके किसे चूतिया बना रै तुम एक जमाने से।
व्हईं बैठा एक उब्भोक्ता मामले सुलटाने वाला एक कानदार मंत्री हमारी बात सुन रिया था, उनने मेरा नाम पूछा तो हमने कहा पोन्टी बता देगा और उनने मोबाइल मिला के राष्टरपति के ह्वां सिपारिश कर दी।
मंत्री ने अपना कार्ड भी दिया था लेकिन उसके आगे ही खिड़की के बाहर हवा में पारसल कर दिया। जो सरकार खुद ही इतने दिनों से घटतोली करा रई हो उसके हाथ से रतन-वतन क्या लेना।
फारम हाउस पर अईयो पाल्टी करेंगे। उन्होंने चलते-चलते कहा, असोक भाई के दोस्त हो आना लगे हाथ बाघ की खाल भी दिखा देंगे जो लोटे का पानी छलक जाने से जरा और घैरी कलर की हो गई है।
11 comments:
तब मैने कई के बौब्लेन्डर के दुस्मनों जे बताओ के फुल में सातसोपचास, अद्धी में तीनसोसाठ और पौव्वे में सिरफ एकसोअस्सी देके किसे चूतिया बना रै तुम एक जमाने से।
गट्टू का सवाल सही है जी !
आशीष
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परग्रही जीवन की संभावनाए
इस बवाल में पिरामिड खरीदने की कवायद, वाह गुट्टू भाई।
जे हुई न बात ... गट्टू भाई , जभ्भी फारम हाउस पे बौब्लेन्डर के नाम पे पाल्टी करोगे, हमें इन्भाईट जरूर करियो
पहली बार आप के ब्लॉग पर आया हूँ आकर बहुत अच्छा लगा , बहुत सुंदर पोस्ट
, कभी समय मिले तो हमारे ब्लॉग//shiva12877.blogspot.com पर भी अपने एक नज़र डालें ..
"बौब्लेन्डर के दुस्मनों" :P :)
गट्टू भाई हम भी अशोक जी के वेब मित्र हैं ,कभी "बौब्लेन्डर" से हमको भी मुलाक़ात करवाओ :)
pure! unadultarated !!neat!!!
अपने पढ़े पहले विदेशी उपन्यास की लेखिका एदिसा मोरिस की कसम तुम्हारी कभी-कभी याद आती है। (वाचिक परंपरा में यकीन के कारण ही)@मुनीश
प्रिय साथी, मैंने व्यावहारिक सुविधा हेतु 'बना रहे बनारस' ब्लाग का यूआरएल परिवर्वतित किया है। इसका नया यूआरएल है
http://banaaras.blogspot.com/
उम्मीद है आप अपने ब्लाग रोल में 'बना रहे बनारस' को पुराने की जगह इस नए यूआरएल लिंक के साथ जोड़ लेंगे। अग्रिम धन्यवाद के साथ - रंगनाथ
इस शृंखला के बारे में यही कहुंगा कि कई मुंह से एक ही किस्सा कहने-कहलवाने का यह प्रयोग पसंद आया।
इस शृंखला के बारे में यही कहुंगा कि कई मुंह से एक ही गटटू भाई का किस्सा कहने-कहलवाने का प्रयोग पसंद आया।
पुनश्चः-
ब्लाग का यूआरएल बदलने से कई तकनीकी दिक्कतें हो रही थीं। इसलिए मैंने पुराना यूआरएल ही रहने दिया है। आपको अब यूआरएल बदलने की कोई जरूरत नहीं।
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