Thursday, April 7, 2011

माची तवारा की कुछ और कवितायेँ

कोई एक साल पहले मैंने आपका परिचय जापान की अति-लोकप्रिय तन्का कवयित्री माची तवारा से कराया था. मैंने वायदा किया था की आप को उनकी कुछेक अन्य रचनाएँ जल्द पढने को मिलेंगी.

पेश हैं उनकी कुछेक विख्यात तन्का कवितायेँ -



१.

जैसे आप छोड़ते हैं
किसी हैम्बर्गर स्टॉल को
उसी तरह छोड़ दूंगी मैं उस आदमी को

२.

जिस दिन मैं निकली टोक्यो के लिए
माँ दिखने लगी थी और भी बूढ़ी
आने वाले वर्षों के विरह के कारण

३.

"क्या उम्दा स्वाद है" तुमने कहा था
और ये थी छः जुलाई
हमारी सलाद एनीवर्सरी

४.

ब्लैकबोर्ड पर लिखते हुए
मैं रुकती हूँ अपने हाथ को आराम देने
- मैं पिघलती हुई सोचा करती हूँ उन पलों में तुम्हारी बाबत

५.
वायदों से डरे-घबराये हुए
तुमने परवाह तक नहीं की
लहरों से दूर अपना महल बनाने की

६.
"माची-चान" -
मुझे पसंद है वह पल जब वह हिचकता है
मुझे मेरे घरेलू नाम से पुकारने में

७.
तुम्हारी महक नाचती है नमकदार झोंके में
और तुम्हारी बाहों में
मैं बदल जाती हूँ एक समुद्री-सीप में.

८.
दो घंटे और
और मैं बदल जाती हूँ सिंड्रेला में -
तुम बोलते जाते हो आणविक युद्ध के बारे में

९.
"तुम्हें मुझसे कोई पुराना हिसाब लेना है
है न?" तुम ऐसे ही कह देते हो -
हो सकता है मुझे लेना हो.

१०.
"जितने भी झूठ तुमने बोले मुझ से
उनका अब नहीं रह गया है कोई भी अर्थ"
ऐसा कहता दीखता है समुन्दर

११.मैं छुप कर पहनती हूँ तुम्हारी जैकेट
पीती हूँ तुम्हारी खुशबू
और जेम्स डीन की पोज़ बनाती हूँ

१२.
"जीवन होना चाहिए इतना नाटकीय!" तुम घोषणा करते हो
मेरे वास्ते एक नाटकीय
सपोर्टिंग रोल

१३.
इस गीत को बजाते हुए
रेतीले तट पर भागा करते थे तुम हमेशा -
"होटल कैलिफोर्निया"

5 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

हर रचना में अर्थ, जीवन का।

Rahul Singh said...

''मैं छुप कर पहनती हूँ तुम्हारी जैकेट
पीती हूँ तुम्हारी खुशबू
और जेम्स डीन की पोज़ बनाती हूँ''
ये हुई न बात.

बाबुषा said...

बहुत सुन्दर ! बहुत सुन्दर ! बहुत सुन्दर ! :-)

मुनीश ( munish ) said...

So des ne ....so des ne !

मुनीश ( munish ) said...

Sugoi !