Tuesday, April 19, 2011

आन्दालूसिया की तरफ़ जा रहे जिप्सियों के साथ रोते हैं वायोलिन


महमूद दरवेश की कविता

वायोलिन

आन्दालूसिया की तरफ़ जा रहे जिप्सियों के साथ रोते हैं वायोलिन.
आन्दालूसिया छोड़कर जा रहे अरबों के साथ रोते हैं वायोलिन.
रोते हैं वायोलिन बीते हुए समय पर, जिसने पलटना नहीं.
रोते हैं वायोलिन छूट चुकी मातृभूमि के लिए जो शायद लौट सके.
वायोलिन आग लगा देते हैं उस सघन, सघन अन्धेरे के जंगल में.
आन्दालूसिया की तरफ़ जा रहे जिप्सियों के साथ रोते हैं वायोलिन.
आन्दालूसिया छोड़कर जा रहे अरबों के साथ रोते हैं वायोलिन.
वायोलिनो से रिसता है कसाई के चाकू का ख़ून, वे सूंघ पा रहे हैं मेरी गर्दन की नसों का रक्त.
आन्दालूसिया की तरफ़ जा रहे जिप्सियों के साथ रोते हैं वायोलिन.
आन्दालूसिया छोड़कर जा रहे अरबों के साथ रोते हैं वायोलिन.
आंतों की भुतहा डोर पर घोड़े हैं वायोलिन और गाते हुए मृतकगान.
हिलकोरे मारते जंगली लाईलैक के फूलों के खेत हैं वायोलिन.
एक स्त्री के नाखूनों से सताए हुए हैं वायोलिन, एक दफ़ा गिराकर उठाए गए.
किसी कब्रिस्तान में संगेमरमर और धुनों के साथ जुटी एक सेना हैं वायोलिन.
एक नर्तक के पैरों पर हवा से पगलाए दिलों का विप्लव हैं वायोलिन.
फटे झण्डों से टेढ़ीमेढ़ी उड़ान में बचकर भाग रही चिड़ियों के झुण्ड हैं वायोलिन.
एक प्रेमी की रात में तहाए हुए और अस्तव्यस्त रेशम की शिकायत हैं वायोलिन.
वायोलिन हैं शराब की आवाज़ पुकारती हुई एक पुरानी इच्छा को.
एक उचित और दुखभरा बदला लेने को वायोलिन मेरा पीछा करते हैं हर जगह.
वायोलिन मेरा शिकार करने की फ़िराक़ में रहते हैं जहां कहीं वे मुझे खोज पाएं.
आन्दालूसिया की तरफ़ जा रहे जिप्सियों के साथ रोते हैं वायोलिन.
आन्दालूसिया छोड़कर जा रहे अरबों के साथ रोते हैं वायोलिन.

(आन्दालूसिया: यूरोप के धुर दक्षिण में अवस्थित स्पेन का एक हिस्सा जो मोरक्को समेत यूरोप और अफ़्रीका के बीच सबसे आसान प्रवेशद्वार था. अटलान्टिक और मैडिटरेनियन समुद्रों के बीच होने और खनिज और कृषि उत्पादों की बहुलता के कारण प्रागैतिहासिक काल से ही आन्दालूसिया आक्रान्ताओं का प्रिय लक्ष्य रहा है.)