Wednesday, April 20, 2011

आज एक और रीपोस्ट


बाबा नुसरत फ़तेह अली ख़ान की ये बन्दिश एक बार पोस्ट भी कर चुका हूं.

तकरीबन आधे घन्टे लम्बी इस रचना को पूरा सुनिये फ़ुरसत में. मौज आएगी.



डाउनलोड यहां से कीजिये:

http://www.divshare.com/download/12217845-a3d

1 comment:

बाबुषा said...

साँसों की माला में सिमरूं मैं पी का नाम !

रात में दो बजे भी उठा के सुना दे कोई तो सुन सकती हूँ !