फ़्रान्ज़ काफ़्का के कुछ वाक्य
"संसार में सिर्फ़ दो तरह की चीज़ें होती हैं. सच्चाइयां और झूठ. सत्य को विभाजित नहीं किया जा सकता इस वजह सी सत्य अपने आप को पहचान नहीं सकता. जिस किसी के भीतर सत्य को पहचानने की इच्छा होगी उसे झूठ होना ही पड़ेगा."
"हरेक क्रान्ति वाष्पीकृत हो जाती है और अपने पीछे एक नई अफ़सरशाही की गाद छोड़ जाती है."
"एक किताब ने हमारे भीतर जमे हुए समुद्र को काटने के लिए एक कुल्हाड़ी होना चाहिये."
"युवावस्था प्रसन्न होती है क्योंकि उसके भीतर सौन्दर्य को देख सकने की क्षमता होती है. जिस किसी के भीतर सौन्दर्य को देख पाने की योग्यता होती है वह कभी बूढ़ा नहीं हो सकता."
"मेरा लिखा मेरे बोले हुए से फ़र्क़ होता है. मेरा बोला हुआ मेरे सोचे हुए से फ़र्क़ होता है. मैं उस से अलग सोचता हूं जैसा मुझे सोचना चाहिये और यह सारा गहनतम अन्धेरे की तरफ़ बढ़ता जाता है."
"चलने से ही रास्ते बना करते हैं."
"मैं ज़ंजीरों में हूं. मेरी ज़ंजीरों को मत छुओ."
4 comments:
"चलने से ही रास्ते बना करते हैं
very good.
हर वाक्य सोचने को प्रेरित करता हुआ।
वो अद्भुत था !
हर एक बात सौ फीसदी खरी , खास तौर पर ये...
हरेक क्रान्ति वाष्पीकृत हो जाती है और अपने पीछे एक नई अफ़सरशाही की गाद छोड़ जाती है.
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