Tuesday, May 31, 2011
एक और अफ़्रीकी धुन - जंगली फ़ामाता
अली फ़र्का तूरे के संगीत की सीरीज़ में इस बार की अन्तिम पेशकश. इस रचना को १९९९ में जारी अली के अल्बम "नियाफ़न्के" से लिया गया है.
(तस्वीर: अली फ़र्का तूरे का परिवार.)
1 comment:
प्रवीण पाण्डेय
said...
थिरकने को मजबूर करती धुन।
May 31, 2011 at 9:25 PM
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1 comment:
थिरकने को मजबूर करती धुन।
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