Monday, May 23, 2011
एवा लिप्स्का की एक कविता
८ अक्टूबर १९४५ को पोलैण्ड के क्राकोव में जन्मीं एवा लिप्स्का को पोलैण्ड के "न्यू वेव" कविता-आन्दोलन से जोड़ कर देखा जाता है. उनकी कविताओं के अनुवाद विश्व की तमाम भाषाओं में हुए हैं. समकालीन समाज में मनुष्य के रू-ब-रू अस्तित्ववादी परिस्थितियां उनकी कविता के केन्द्र में रहती हैं. आज उनकी एक कविता -
कविता-पाठ के वक़्त कुछ सवालात
आपका पसन्दीदा रंग कौन सा है?
सबसे खुशी का दिन?
क्या कोई कविता आपकी कल्पना से आगे निकली?
आपको कोई उम्मीद है?
आप डरा रही रही हैं हमें.
काला क्यों है आसमान?
समय को किसने गिरा दिया गोली मार कर?
समुद्र के ऊपर उड़ता वह एक ख़ाली हाथ था
या कोई हैट?
शादी की पोशाक के साथ
ग़मी का गुलदस्ता क्यों?
जंगली रास्तों के बजाय
अस्पतालों के गलियारे क्यों?
बीता समय क्यों, भविष्य क्यों नहीं?
आप ईश्वर में यकीन करती हैं? या नहीं?
आप डरा रही रही हैं हमें.
हम उड़ कर जा रहे हैं आप से दूर.
मैं कोशिश करती हूं उन्हें रोकने की
सीधे आग के भीतर उड़ जाने से.
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एवा लिप्स्का
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2 comments:
बढ़िया कविता.
मासूम पाठक .. जायज़ सवाल.
कलम इस पर भी बोल उठी ..वाह!
अहा! लीप्स्का.
बहुत अच्छी कवि है. मुझे प्रिय. यह कविता भी सुंदर.
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